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17 May 2024 · 1 min read

क़िस्मत हमारी ख़ुद के ही पहलू से आ मिली

क़िस्मत हमारी ख़ुद के ही पहलू से आ मिली
दुख की घड़ी में पलके जो आँसू से क्या मिली

तितली के तब से सैकड़ों दुश्मन बने हुए

फूलों से क्या मिली वो तो ख़ुशबू से क्या मिली
दौलत से अब वो सबको कभी तौलता नहीं

दौलत ज़रा सी उसकी तराज़ू से क्या मिली
उसने समझ लिया कि वो साहिल पे आ गया

कश्ती जो उसकी छोटे से टापू से क्या मिली
सूरज को मिल के गालियाँ वो दे रहे हैं अब

जिनको ज़रा सी रौशनी जुगनू से क्या मिली

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