Bhupendra Rawat Language: Hindi 323 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Bhupendra Rawat 6 Mar 2024 · 1 min read उलझा हूँ, ज़िंदगी की हरेक गुत्थियाँ सुलझाने में उलझा हूँ, ज़िंदगी की हरेक गुत्थियाँ सुलझाने में जब से दस्तक दी है दर्द ने मेरे सिराने में बड़ी मशक्कत से पाला था मैंने एक भ्रम ठोकरों ने बताया,नही होता,अपना... Hindi 1 34 Share Bhupendra Rawat 19 Feb 2024 · 1 min read पहला श्लोक ( भगवत गीता ) पहला श्लोक ( भगवत गीता ) कुरुछेत्र में कौरवों और पांडवो की सेना पहुंची जब महाराज धृतराष्ट्र ने संजय से पूछा तब संजय ने श्री कृष्ण द्वारा दी गयी अपनी... Hindi · Quote Writer 2 252 Share Bhupendra Rawat 10 Feb 2024 · 2 min read विद्यार्थी और विभिन्न योग्यताएँ अक्सर हम अपने बच्चों की छोटी छोटी उपलब्धियों पर खुश या उन्हें मोटीवेट करने की वज़ह हम उनकी तुलना अन्य बच्चों से करने लगते है। जिसके कारण बच्चों में हीन... Hindi · लेख शिक्षा · शिक्षा 1 382 Share Bhupendra Rawat 7 Feb 2024 · 3 min read बढ़ती उम्र के साथ मानसिक विकास (बदलाव) समस्या और समाधान प्रकृति से हम सब भलीभाँति वाकिफ़ है। और हम सब यह भी जानते है कि बदलाव प्रकृति का नियम है। बदलाव कि सीढ़ी पर चलकर ही आज हम सब विकास... Hindi 2 367 Share Bhupendra Rawat 5 Feb 2024 · 2 min read तकनीकी युग मे स्वयं को यंत्रो से बचाने के उपाय आधुनिक युग के यंत्रो ने हमे जिस तरह से अपने अधीन कर लिया है। ऐसी स्थिति मे इन यंत्रो से दूरी बनाए रख पाना अपने आप मे एक चुनौती है।... Hindi · लेख · लेखयंत्रटेक्नोलोजीतकनीकी य 1 812 Share Bhupendra Rawat 26 May 2021 · 1 min read न पूज तू पत्थर को,तू पूज इंसान न पूज तू पत्थर को,तू पूज इंसान इंसानियत को तू ज़िंदा रख ख़ुदा से कर फरमान,ख़ुदा से कर फरामन कि इंसान जिंदा होए,इंसान अगर ज़िंदा होए तो इंसानियत कदापि न... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 5 608 Share Bhupendra Rawat 25 May 2021 · 1 min read माँ माँ के चरणों में मैंने जन्नत को देखा है। माँ ही वो शख्स है,जिसके लिए मैंने ख़ुदा को तरसते देखा है। माँ ने मेरी खातिर हर मुश्किल को आसां बनाया... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 4 461 Share Bhupendra Rawat 25 May 2021 · 1 min read अपने लिए सब सोना चाहे,दूजे के लिए माटी अपने लिए सब सोना चाहे दूजे के लिए माटी,दूजे के लिए माटी चाहे करना चाहे वो बर्बादी,करना चाहे वो बर्बादी,सोचे दूजों का बुरा होये, दूजों का बुरा होये तो मन... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 2 359 Share Bhupendra Rawat 25 May 2021 · 1 min read खुद को खोकर तुझे पाया है मैंने ख़ुद को खोकर, तुझे पाया है, मैंने हर रिश्ता दिल से निभाया है, मैंने टूट कर हर बार हालातों से, चलना ख़ुद को सिखाया है,मैंने राह के हर क़दम पर... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 446 Share Bhupendra Rawat 24 May 2021 · 2 min read हास्य व्यंग्य...... शादी के पश्चात हास्य व्यंग्य..…....... इस व्यंग्य का वास्तविक जीवन से कोई सम्बंध नही है सबसे ज्यादा हंसी तो तब आती है शादी से पहले कामकाजी कही जाने वाली लड़की सबसे ज्यादा काम... Hindi · लघु कथा 3 2 1k Share Bhupendra Rawat 28 Apr 2021 · 1 min read चलो झूठ बोले चुनाव का वक़्त है आओ चलो झूठ बोले वर्षों से अटका है, विकास आओ चलो झूठ बोले मज़हब भी तो एक मुद्दा है, हमारे पास चलो झूठ बोले मंदिर,मस्जिद, गिरजा,चर्च... Hindi · कविता 2 2 562 Share Bhupendra Rawat 10 Aug 2020 · 1 min read शीर्षक-मैंने पढ़ है किताबों में मैंने पढ़ा है किताबों में सत्यमेव जयते लेकिन नहीं होता यकीं उन किताबों पर आज के हालातों को देखकर चंद पैसों से दबा दिया जाता है,सच और खड़े कर दिए... Hindi · कविता 3 3 316 Share Bhupendra Rawat 27 Jul 2020 · 1 min read दुनिया के सभी बंधन से मुक्त होकर स्वयं को क़ैद करना चाहता है दुनिया के सभी बंधन से मुक्त होकर स्वयं को क़ैद करना चाहता है आधुनिक यंत्र की इस दुनिया में और जीत लेना चाहता है सम्पूर्ण विश्व को इन आधुनिक यंत्र... Hindi · कविता 3 2 342 Share Bhupendra Rawat 27 Jul 2020 · 2 min read अब्दुल कलाम- द मिसाइल मैन मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम अंसार परिवार में... Hindi · लेख 2 2 520 Share Bhupendra Rawat 24 May 2020 · 1 min read कहने को है बहुत कुछ शब्दों के बाज़ार में कहने को है बहुत कुछ शब्दों के बाज़ार में लेकिन कुछ क्षण मौन रह तुझे देखना चाहता हूँ,मैं थक सा गया हूँ,रोशन आफताब की तपीश में तेरी ज़ुल्फ़ों के साये... Hindi · मुक्तक 4 257 Share Bhupendra Rawat 24 May 2020 · 1 min read बस गयी हो मेरी रूह में तुम बस गयी हो मेरी रूह में तुम कुछ इस तरह जिस तरह नदियों का बहता नीर समा जाता है,समुन्द्र में समुन्द्र का नीर महासागरों में फिर एक दूसरे के संग... Hindi · कविता 2 2 322 Share Bhupendra Rawat 24 May 2020 · 1 min read बहुत देखे किरदार ज़िन्दगी की किताबों में बहुत देखे किरदार ज़िन्दगी की किताबों में मग़र मुझे तुम सा कोई नजर नही आया देखा तुम्हें जितनी बार मैने अपने नजरिए से उतनी बार अलग अलग किरदारों को तुम... Hindi · कविता 3 408 Share Bhupendra Rawat 24 May 2020 · 1 min read कहने को है बहुत कुछ शब्दों के बाज़ार में कहने को है बहुत कुछ शब्दों के बाज़ार में लेकिन कुछ क्षण मौन रह तुझे देखना चाहता हूँ,मैं थक सा गया हूँ,रोशन आफताब की तपीश में तेरी ज़ुल्फ़ों के साये... Hindi · मुक्तक 3 301 Share Bhupendra Rawat 23 May 2020 · 1 min read रिश्ते निभाए तूने दिल-ओ-जान से रिश्ते निभाए तूने दिल-ओ-जान से वही छोड़ चल बसे तुझे इस जहाँ से कल तक मजबूत नींव थी जिस इमारत की नींव ही नेस्तनाबूद कर गए इस मकाँ से रिश्ते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 371 Share Bhupendra Rawat 23 May 2020 · 1 min read जिनके पांव में छाले है वो इतिहास बनाने वाले है जिनके पांव में छाले है वो इतिहास बनाने वाले है देखकर मौन हुआ है जो वो सत्ता के रखवाले है आलीशान बंगलो में बैठ करते है चर्चा वो शोषितों का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 253 Share Bhupendra Rawat 22 May 2020 · 1 min read चोट खाये हुए मज़दूर घर को लौट आये मज़दूर चोट खाये हुए मज़दूर घर को लौट आये मज़दूर चिलचिलाती धूप से कहां,कब घबराये मज़दूर रोटी की तलाश में घर बचाने की आस में थोड़ा सा घबराये मज़दूर देखो गांव... Hindi · कविता 4 2 287 Share Bhupendra Rawat 22 May 2020 · 1 min read तेरे संग गुज़ारे लम्हों का सवाल है तेरे संग गुज़ारे लम्हों का सवाल है वक़्त के गुज़र जाने का मलाल है खो गए है वो हंसी लम्हें कहीं उन्हीं पलों का आया फिर से ख्याल है भूपेंद्र... Hindi · मुक्तक 3 262 Share Bhupendra Rawat 20 May 2020 · 1 min read कहां तलक ख़्वाब तेरे मुझे ले जायेंगे कहां तलक ख़्वाब तेरे मुझे ले जायेंगे तन्हा सफर में कदम और कहां जायेंगे भटक जायेंगे मंज़िल की राह से जब भी ग़म मिटाने मयखाने की ओर चले जायेंगे भूपेंद्र... Hindi · मुक्तक 5 290 Share Bhupendra Rawat 20 May 2020 · 1 min read नीली स्याह के निशां थोड़े धुंधले पड़े है नीली स्याह के निशां थोड़े धुंधले पड़े है ज़िन्दगी का बोझ तले मजदूर शहर छोड़ चले है जारी इस शतरंज के खेल में मजदूर एक बार फिर से छले है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 348 Share Bhupendra Rawat 19 May 2020 · 1 min read मासूमियत से भरे नादान सवाल माँ माँ भगवान क्या होते है? माँ थोड़ा मुस्कुराते हुए अपने बेटे को कहती है बेटा जिनकी हम पूजा करते है,लेकिन माँ वो तो पत्थर होते है। तो पत्थर भगवान... Hindi · कहानी 5 2 418 Share Bhupendra Rawat 19 May 2020 · 1 min read भूख मिटाने कुछ लोग, गांव छोड़ शहर की ओर आये थे गांव छोड़ भूख मिटाने कुछ लोग,शहर की ओर आये थे दो वक्त की रोटी के खातिर शहरी रीति रिवाज अपनाये थे मालूम हुआ मज़दूरों को खाने कोरोना भूत शहर आया... Hindi · मुक्तक 4 229 Share Bhupendra Rawat 19 May 2020 · 1 min read जरा सी जेब भारी हुई लोगों के तेवर बदल गए जरा सी जेब भारी हुई लोगों के तेवर बदल गए बदलते रिश्तों के साथ जीने के ढंग बदल गए आज इंसान इंसानियत को तलाश रहा बदलते मौसम के जैसे आज... Hindi · मुक्तक 5 2 595 Share Bhupendra Rawat 19 May 2020 · 1 min read लोगों के रंग बदल जाते है लोगों के रंग बदल जाते है जीने के ढंग बदल जाते है बदलते है मौसम के अंदाज़ जैसे वैसे लोगों के मन बदल जाते है सारे वादें टूट जाते है... Hindi · कविता 4 295 Share Bhupendra Rawat 18 May 2020 · 1 min read ज़िंदा हूँ मगर लाश पड़ी है सड़क किनारे ज़िंदा हूँ मगर लाश पड़ी है सड़क किनारे देख रहे है मंज़र सब आने जाने वाले बिलख बिलख कर रो रहे,अपने चाहने वाले फब्तियां कस रहे है आज सब ज़माने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 232 Share Bhupendra Rawat 17 May 2020 · 2 min read आलीशान बंगलो में बैठे मजदूर नीति के निर्माणकर्ता कोरोना महामारी जैसी संकट की स्थिति में आलीशान बंगले में बैठकर मजदूरों की समस्याओं पर व्यख्यान करने वाले समस्त विपक्ष के नेताओ का प्रवासी मजदूरों के प्रति लगाव बहुत ही... Hindi · लेख 4 3 611 Share Bhupendra Rawat 17 May 2020 · 3 min read स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात शिक्षा का स्तर स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात शिक्षा के गिरते हुए स्तर में सुधार लाने के लिए सत्ताधीश सरकार द्वारा समय समय पर कई प्रयास किये गए । शिक्षा के क्षेत्र में सुधार... Hindi · लेख 3 3k Share Bhupendra Rawat 15 May 2020 · 1 min read विद्यालय एक पूंजीवादी संस्था समाज के अशिक्षित वर्ग को शिक्षित करने के उद्देश्य से खोली गई समाजिक संस्थाओं का एकमात्र उद्देश्य आज अधिक से अधिक लाभ कमाने तक सीमित रह गया है। ट्यूशन फीस... Hindi · लेख 4 3 494 Share Bhupendra Rawat 7 May 2020 · 1 min read चालीस दिन के रोज़े में, तरस गया पीने वाला चालीस दिन के रोज़े में, तरस गया पीने वाला बस एक दिन और शेष रहा कल से खुलेगी मधुशाला सरकार के निर्देशों का पालन करेगा हर कोई पीने वाला तब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 1 261 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read तेरे नाम की एक शाम और ढल गयी तेरे नाम की एक शाम और ढल गयी इंतेज़ार के तन्हा सफर में तू छल गयी इंतेज़ार के ज़िंदा लम्हों में अब शेष मायूसी है तेरे इंतेज़ार में ज़िन्दगी श्मशान... Hindi · मुक्तक 4 3 282 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read ये गलती गिनाने का वक़्त नही है ये गलती गिनाने का वक़्त नही है रूठ कर चले जाने का वक़्त नही है माना वक़्त थोड़ा नाराज है,मुझसे ये नाराज़गी जताने के वक़्त नही है भूपेंद्र रावत 6।05।2020 Hindi · कविता 3 2 256 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read ज़िंदा तो हूँ फ़क़त चंद सांसे बची है ज़िंदा तो हूँ फ़क़त चंद सांसे बच रखी है तेरे नाम की छोटी सी खुशी रखी है मर जाता बेवज़ह,ज़हन में ख्याल आया मेरी चंद सांसे तेरे पास गिरबी रखी... Hindi · कविता 3 414 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read भूल चुके है लोग रिश्ते निभाना भूल चुके है लोग रिश्ते निभाना बात बात पर आता है,रूठ जाना होता नही सहन कुछ भी,उनसे आ गया हर बात में ताने सुनाना भूपेंद्र रावत 6।05।2020 Hindi · मुक्तक 3 424 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read हंसता हूँ,हँसाता हूँ मन सबका बहलाता हूँ हंसता हूँ,हँसाता हूँ मन सबका बहलाता हूँ ढीला, ढाला पैजामा पहन झूम झूम कर आता हूँ हाथ पर आग गोले लेकर उछल पार कर जाता हूँ बन्द थैले में अपने,हंसी... Hindi · कविता 6 1 308 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read माता पिता का करो सम्मान माता पिता है हमारे भगवान माता पिता का करो सम्मान माता पिता है हमारे भगवान अगर माता पिता न होते तो इस दुनिया में हम कैसे आ पाते माता पिता ही तो हमको जीना है... Hindi · कविता 4 1 265 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read आसान नही तेरे बिन ज़िन्दगी आसान नही तेरे बिन ज़िन्दगी तेरा होना हर मुश्किल आसान कर देता है नशा ही तो है, आगोश में तेरे जहां की हर परेशानी को दूर कर देता है भूपेंद्र... Hindi · कविता 4 1 387 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read शांति स्थापित करने के लिए लोग चुनते है शांति स्थापित करने के लिए लोग चुनते है, युद्ध, और खड़ी कर देते है मशीन गिरा देते है, स्तम्भ बिछा देते है लाश,बना देते है श्मशान फहरा दिया जाता है,... Hindi · कविता 4 1 376 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read माँ में भी उस चिड़िया के भांति नील गगन में उड़ना चाहता हूँ । माँ में भी उस चिड़िया के भांति नील गगन में उड़ना चाहता हूँ । दूर क्षितिज को छू आसमा का भ्रमण करना चाहता हूँ । बिना किसी भेद भाव के... Hindi · कविता 4 490 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read मुद्दतों बाद तेरा ख्याल फिर से आया है मुद्दतों बाद तेरा ख्याल फिर से आया है तेरी यादों ने एक लम्हा और सजाया है अब तेरी यादें ही तो बस ज़ीने का बहाना है तेरी झील सी आंखों... Hindi · कविता 3 2 276 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 2 min read लॉकडाउन 3.0 सोशल डिस्टेंसइंग की धज्जियां उड़ाती सरकारी नीतियां लेख ........ कोरोना की मार झेल रहे सभी देशों ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए अपनी रणनीतिया तैयार करने के साथ ही अब उन रणनीतियों को जमीनी स्तर पर... Hindi · लेख 3 2 365 Share Bhupendra Rawat 1 May 2020 · 1 min read कोरोना की जंग तो नही लेकिन कोरोना की जंग तो नही लेकिन भूख और जीवन के बीच दो वक्त की रोटी की जंग आज नही तो कल मार ही डालेंगी भूख की लड़ाई है जीवन से... Hindi · कविता 5 2 516 Share Bhupendra Rawat 1 May 2020 · 1 min read शब्दों के बाज़ार में मौन रहना भला है शब्दों के बाज़ार में मौन रहना भला है खामोश रहकर सब कुछ कहना एक कला है शब्दों को मरहमों का लेप लगाना आता है ज़िन्दगी जीने का यही अच्छा सिलसिला... Hindi · कविता 4 2 233 Share Bhupendra Rawat 1 May 2020 · 1 min read सफ़र ज़िन्दगी का रुक ही गया सफ़र ज़िन्दगी का रुक ही गया मन्ज़िल का सफ़र अधूरा छूट ही गया ज़िद्द थी,जीने की और तुझे ऐ ज़िन्दगी मग़र मौत के आगे आखिर झुक ही गया भूपेंद्र रावत... Hindi · मुक्तक 4 354 Share Bhupendra Rawat 1 May 2020 · 1 min read क्या पता था लोगों के रंग बदल जायेंगे क्या पता था लोगों के रंग बदल जायेंगे आस्तीन के साँप बाहर निकल कर आयेंगे झूठ ही तो सहारा था सच को छुपा लेने का मंझधार की डूबती कश्ती को... Hindi · मुक्तक 4 364 Share Bhupendra Rawat 1 May 2020 · 1 min read न पूछ मुझसे मेरी ख्वाइश-ए-ज़िन्दगी न पूछ मुझसे मेरी ख्वाइश-ए-ज़िन्दगी हर एक ख्वाइश आज मोहताज है ज़ी तो रहे है,फ़क़त तेरी खुशी के लिए जिस्त-ओ-जिस्म में कहां बची अब सांस है भूपेंद्र रावत 1।05।2020 Hindi · कविता 3 235 Share Bhupendra Rawat 30 Apr 2020 · 1 min read बहुत खुश थे ज़िन्दगी को पाकर बहुत खुश थे ज़िन्दगी को पाकर हंसते हंसते हर ग़म को गले लगाया था बेखबर थे जिन्दगी असलियत से तेरी अपनो के शहर में अज़नबी से दिल लगाया था भूपेंद्र... Hindi · कविता 3 2 418 Share Page 1 Next