Comments (3)
17 May 2020 10:19 PM
रावत जी, यही तो विडंबना है,जो लोग सिर्फ वोट बन कर रह गए हैं,उनका इस्तेमाल ऐसे ही किया जाता रहेगा, और जो नोट देते हैं, उनके लिए नोट कमाने का माहौल अनुकूल बनाया गया है,आज भी राहत में यही दिख रहा है।
Bhupendra Rawat
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17 May 2020 10:57 PM
आज सारी की सारी व्यवस्था बिकाऊ है दोषारोपण की राजनीति करना सरल है किंतु स्वयं अपने जमीर को जगाकर प्रजा के हित मे काम करना उतना ही मुश्किल जितना सरल ac वाले रूम में बैठ कर नीतियां बनाना उन लोगों को मजदूरों के हालात का क्या पता होगा जिसने कभी गाड़ी से निकलकर तपते सूरज की आग को महसूस ही नही किया
यह सब राजनेता मजदूरों के प्रति संवेदना का नाटक करते रहते हैं। इनका लक्ष्य केवल वोट बैंक की राजनीति है। ये तत्व अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं ।इनका कोई ईमान धर्म नहीं है। इनके लिए नीति आदर्श सब किताबी कोरी बातें हैं। इनको बड़ी-बड़ी बातें करने की कला आती है। पर वास्तविकता में इनका निजी स्वार्थ सर्वोपरि है। जिसकी पूर्ति में ये खुद को बेचने से भी नहीं कतराते हैं।
धन्यवाद !