डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' Tag: मुक्तक 55 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Jan 2023 · 1 min read निश्छल छंद विधान निश्छल -छंद का विधान में मुक्तक "निश्छल- छंद" सम मात्रिक छंद है। यह 23 मात्राओं का छंद है जिसमें 16,7 मात्राओं पर यति आवश्यक है। अंत में वाचिक भार 21... Hindi · मुक्तक 1 1 547 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 Sep 2021 · 1 min read तितली सुकोमल पंख सतरंगी परी अवतार सी तितली। सजीला रूप मनमोहक हँसे गुलनार सी तितली। करे रसपान फूलों का लुटाती प्रीति उपवन में- सलौनी बाल मन भाए लगे उपहार सी तितली।... Hindi · मुक्तक 1 1 347 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 Sep 2021 · 1 min read तितली (मुक्तक) सुकोमल पंख सतरंगी परी अवतार सी तितली। सजीला रूप मनमोहक हँसे गुलनार सी तितली। करे रसपान फूलों का लुटाती प्रीति उपवन में- सलौनी बाल मन भाए लगे उपहार सी तितली।... Hindi · मुक्तक 372 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 7 May 2020 · 1 min read मुक्तक 'चूड़ियाँ' आहटें सुन आपकी अब चहकती हैं चूड़ियाँ। लाल-पीली काँच की मिल खनकती हैं चूड़ियाँ। लौटकर आए मगर ओढ़े हुए खूनी कफ़न- टूटकर चीत्कार करती सिसकती हैं चूड़ियाँ। डॉ. रजनी... Hindi · मुक्तक 3 244 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 23 Apr 2020 · 1 min read मुक्तक बचपन सौम्य आनन निरख मंजुल रीझ शिशु पुलकित हुआ। मेलकर आँगुल्य निज मुख बालमन शंकित हुआ। कौन मुझसा रूप धरकर छल रहा अविरल मुझे- गुन रहा उर भाव चंचल मौन... Hindi · मुक्तक 1 1 254 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 22 Apr 2020 · 1 min read मुक्तक त्रय तप्त धरा शोषित मानव से धूप देह झुलसाती है। फूट गए कृषकों के छाले बंजर भू अकुलाती है। मूक वेदना सहती पृथ्वी रोम-रोम गहरी खाई- हरिताभा को तरसे धरती मेघों... Hindi · मुक्तक 2 2 422 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 9 Apr 2020 · 1 min read मुक्तक हनुमान जयंती हनुमान जयंती मुक्तक जन्मदिन बजरंग का सिंदूर तन पर साजता। नाम अंतस राम-सीता अंजनी सुत राजता। लो बधाई भक्त जन की पूर्ण कर दो कामना- सब करें गुणगान... Hindi · मुक्तक 1 1 433 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 9 Apr 2020 · 1 min read मुक्तक हनुमान जयंती हनुमान जयंती मुक्तक जन्मदिन बजरंग का सिंदूर तन पर साजता। नाम अंतस राम-सीता अंजनी सुत राजता। लो बधाई भक्त जन की पूर्ण कर दो कामना- सब करें गुणगान... Hindi · मुक्तक 1 446 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 1 Apr 2020 · 1 min read मुक्तक भूल मानवता रचे साजिश हँसे हैवानियत। चाल चीनी चल गया अब कौन लेगा कैफ़ियत। आज दहशत से भरा दिखता यहाँ इंसान है- लाश के अंबार देखो रो रही इंसानियत। डॉ.... Hindi · मुक्तक 1 456 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 22 Mar 2019 · 1 min read मुक्तक अँधेरे रास क्या आते उदासी सह नहीं पाया। तुम्हारे बिन गुज़ारीं रात तन्हा रहह नहीं पाया। मिला धोखा मुहब्बत में नहीं उम्मीद थी जिसकी- गिला,शिकवा, शिकायत को कभी मैं कह... Hindi · मुक्तक 496 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Feb 2019 · 1 min read मुक्तक [2/7, 12:14] rajniagrawal60: हवा ने जिस्म की खुशबू भरा संदेश पहुँचाया। अधर पर इश्क का चुंबन लिए पैगाम जब आया। शबनमी प्रीत की सौगात भेजी तब गुलाबों में- महकती वादियों... Hindi · मुक्तक 1 322 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Jan 2019 · 1 min read मुक्तक मुक्तक त्रय "जश्न-ए-आज़ादी" (1) जश्न आज़ादी मनाएँ नेह वंदन भारती! देश के प्रहरी सजाएँ भाल चंदन भारती! गूँज शहनाई भरें उन्माद हिंदुस्तान में- देश के ख़ातिर समर्पित जान-तन-मन भारती! (2)... Hindi · मुक्तक 1 266 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Jan 2019 · 4 min read मुक्तक आशिकों का क्या ज़माना आ गया। दर्द सहकर मुस्कुराना आ गया। दे भरोसा प्यार में सौदा किया- प्यार किश्तों में चुकाना आ गया। डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' बंद मुठ्ठी... Hindi · मुक्तक 1 1 284 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 30 Dec 2018 · 1 min read मुक्तक प्रीत अधरों पर सजा मुस्कान बनना चाहिए। हसरतों के ख्वाब सा मेहमान बनना चाहिए। भूल कर मतभेद मजहब के जियो सब प्यार से- नेक कर्मों की सदा पहचान बनना चाहिए।... Hindi · मुक्तक 2 342 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 Dec 2018 · 2 min read मुक्तक मुक्तक (1) मिला पतझड़ विरासत में हमें क्यों यार से ए दिल? मिलीं बेड़ी हिफ़ाज़त में हमें क्यों यार से ए दिल? गँवाकर दीप नैनों के किया रौशन जहाँ उसका-... Hindi · मुक्तक 1 502 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 Dec 2018 · 1 min read मुक्तक मुक्तक (1) आशिकों का क्या ज़माना आ गया। दर्द सहकर मुस्कुराना आ गया। दे भरोसा प्यार में सौदा किया- प्यार किश्तों में चुकाना आ गया। (2) रौद्र रूप धर नटवर... Hindi · मुक्तक 421 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 12 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक "तिरंगे की कसम" ************** #तिरंगे की कसम खाकर महकती छोड़ आया मैं। पहन #राखी हथेली में चहकती छोड़ आया मैं। लगा #सिंदूर माथे पर दिए आँसू चला आया- कलेजा चीरती... Hindi · मुक्तक 3 1 381 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 12 Nov 2018 · 2 min read मुक्तक मुक्तक इश्क में इश्क ने हम पर रुआब रक्खा है। हरेक सवाल का हमने जवाब रक्खा है। जुबाँ ख़ामोश है लब मुस्कुरा रहे अपने- ढहाए जुल्मो सितम का हिसाब रक्खा... Hindi · मुक्तक 2 275 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक 'बेवफाई' गैर के साथ चले राह कई भूल गए। आशिकी को न समझ पाए कभी भूल गए। है अजब इश्क जुदाई न सही जाए सनम- जो हमें याद रहे आज... Hindi · मुक्तक 2 2 351 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 9 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक मुक्तक इश्क में इश्क ने हम पर रुआब रक्खा है। हरेक सवाल का हमने जवाब रक्खा है। जुबाँ ख़ामोश है लब मुस्कुरा रहे अपने- ढहाए जुल्मो सितम का हिसाब रक्खा... Hindi · मुक्तक 1 280 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक दीपावली मुक्तक नेह की बाती जले सद्भभाव की हो धारणा। जगमगाते दीप में उत्सर्ग की हो भावना। दीप माटी के जला रौशन करें हर द्वार को- द्वेष अंतस का जले... Hindi · मुक्तक 2 287 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 1 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक चला जाऊँ अगर तन्हा नहीं कोई गिला होगा। तुम्हारे रूँठ जाने का नहीं फिर सिलसिला होगा। हज़ारों महफ़िलें होंगी मगर मुझसा नहीं होगा- वफ़ा चाहूँ अगर तुमसे कहो क्या फ़ैसला... Hindi · मुक्तक 1 303 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 19 Oct 2018 · 1 min read मुक्तक मुक्तक जूझके हालात से कर हादसों का सामना। वज्र सा पाषाण बन कर बादलों का सामना। बुझदिलों की जीत होती है नहीं संसार में- तू बढ़ाले हर कदम कर फ़ासलों... Hindi · मुक्तक 255 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 15 Oct 2018 · 1 min read मुक्तक भरी गागर बुराई की छलकना भी ज़रूरी है। नज़र से दूर होने पर तड़पना भी ज़रूरी है। गरजते जो ज़माने में बरसते वो नहीं भू पर- खरी-खोटी सुनाए तो मसलना... Hindi · मुक्तक 286 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 15 Oct 2018 · 1 min read मुक्तक वक्त में ताक़त बहुत ख़ुद ही बदलना सीखले। छोड़कर आलस्य तू ख़ुद ही सँभलना सीखले। रेत के मानिंद मुठ्ठी में रुका है वक्त कब- कर्म कर पथ शूल को ख़ुद... Hindi · मुक्तक 236 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Oct 2018 · 1 min read मुक्तक मुक्तक गुलामी गैर की करना मुहब्बत हो नहीं सकती। ख़ुशामद यार की करना ख़िलाफ़त हो नहीं सकती। भरम में डाल दूजे को सज़ा ख़ुद को ही दे दोगे- किया महफ़िल... Hindi · मुक्तक 1 473 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read मुक्तक मुक्तक झुका ये शाख-ए-गुल चंदा' गज़ब की प्रीत बरसाए। ज़मीं पे ख़ुशनुमा मौसम फ़िज़ा में गीत भरमाए। छिटकती चाँदनी करती बहारों को यहाँ सजदा- लिए आगोश में लतिका शज़र सा... Hindi · मुक्तक 1 565 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 7 Oct 2018 · 3 min read मुक्तक मुक्तक अजब मालिक की दुनिया है यहाँ किरदार बिकते हैं। कहीं सत्ता कहीं ईमान औ व्यापार बिकते हैं। पड़ी हैं बेचनी सांसें कभी खुशियाँ नहीं देखीं- निवाले को तरसते जो... Hindi · मुक्तक 226 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Oct 2018 · 2 min read मुक्तक मुक्तक बसाकर स्वार्थ निज उर में नहीं रिश्ते भुला देना। न मन में बैर विष सा घोल अपनों को रुला देना। मनुज जीवन बड़े सौभाग्य से मिलता किसी को है-... Hindi · मुक्तक 251 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 19 May 2018 · 2 min read मुक्तक छलकता जाम नयनों से पिलाने चाँदनी आई। समा आगोश में चंदा सितारे माँग भर लाई। मचलता झूमता मौसम खिलाता रूप यौवन का- लुटा कर जिस्म की खुश्बू सुहानी रात मुस्काई।... Hindi · मुक्तक 433 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 19 May 2018 · 2 min read मुक्तक मुक्तक सितारे आसमाँ से जब जमीं पर टूट के बिखरे। बहारों ने किया सज़दा जवाँ फूलों से सब उभरे। मची हलचल हवाओं में शरारत झूमके बरसी- फ़िसलती चाँदनी आई धड़कते... Hindi · मुक्तक 361 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 23 Mar 2018 · 1 min read मुक्तक मुक्तक "ताबीज़" लिए ताबीज़ सी तासीर उर में प्यार भरती हूँ। ग़मों को खींच लोगों के अधर मुस्कान बनती हूँ। लगा विषधर गले अपने उन्हें सद्भाव बख़्शा है- बहाकर प्रीत... Hindi · मुक्तक 429 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 22 Mar 2018 · 1 min read मुक्तक _________मुक्तक त्रयी-------- नफ़रतें आबाद कर ज़ालिम बनाती रोटियाँ। भूख से तड़पा यहाँ चोरी करातीं रोटियाँ। धर्म का ले नाम रोटी सेकते नेता यहाँ- पाप दुनियाँ से करा सबको लुभाती रोटियाँ।1... Hindi · मुक्तक 280 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 15 Jan 2018 · 3 min read मुक्तक छा गई पनघट उदासी गीत बिन सूना जहाँ। घाट आतप से तपे हैं प्रीत बिन सूना जहाँ। कृषक अंबर को तके खलिहान सूखे रो रहे- सरित सागर खार बनती मीत... Hindi · मुक्तक 548 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2017 · 1 min read करवाचौथ (त्रिपदीय मुक्तक) "करवाचौथ" (त्रिपदीय मुक्तक) "करवाचौथ" सजन की प्रीत का त्योहार करवाचौथ आया है। उतर कर आसमाँ से चाँद ने मुझको सजाया है। पहन कंगन लगा बिंदी सजालूँ माँग में सपने- बसा... Hindi · मुक्तक 329 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Sep 2017 · 1 min read मुक्तक मुक्तक चिलमन हटी निगाह तलबगार से मिली। कंटक भरी गुलाब कली प्यार से खिली। सच कह दूँ जनाब मान जाएँगे- दर्दे ज़िगर कटार वफ़ा नाम से चली। डॉ. रजनी अग्रवाल... Hindi · मुक्तक 415 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Sep 2017 · 1 min read मुक्तक मुक्तक ख्वाब में आकर हमारे यूँ सताना छोड़ दो। हम तुम्हारे हैं सनम तुम आजमाना छोड़ दो। दर्द देकर ज़ख्म पर मलहम लगाना सीख लो- कब न जाने मौत आ... Hindi · मुक्तक 473 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Sep 2017 · 1 min read मुक्तक मुक्तक सजा कर प्रीत के सपने लिए तस्वीर बैठे हैं। इबादत में सनम तुझको बना तकदीर बैठे हैं। छलावा कर रही दुनिया यहाँ जज़्बात झूठे हैं- बने रांझा मुहोब्बत में... Hindi · मुक्तक 312 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 30 Aug 2017 · 1 min read मुक्तक मुक्तक पिलाता रोज़ है साकी नज़र का नाम होता है। नहीं मजहब शराबी जात का बस जाम होता है। निगाहें फेर कर जब भी दिखाई बेरुखी उसने भुलाता दर्द ज़ख्मों... Hindi · मुक्तक 307 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Aug 2017 · 1 min read कई रातों को जागा मैं (मुक्तक) "कईरातों को जागा मैं" सजाकर याद की महफ़िल कई रातों को जागा मैं। भरा आगोश में तकिया बहाए अश्क जागा मैं। हुई खामोश तन्हाई सुनाकर दासता अपनी- लगाए कहकहे खुद... Hindi · मुक्तक 1 209 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Aug 2017 · 1 min read मुक्तक मुक्तक सुनाते हाले दिल हमको कभी यूँ ग़म नहीं सहते। मनाते रूँठते हमसे ज़माने से नहीं कहते। मिलेगा क्या भला हमको वफ़ा की आरजू से अब- खुदाई मुस्कुराती तब सनम... Hindi · मुक्तक 247 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Aug 2017 · 1 min read विरह वेदना (मुक्तक) विरह वेदना ******** बनी मैं दीप की बाती सनम दिन रात जलती हूँ। बहाकर प्रीत नयनों से तुम्हारी राह तकती हूँ। दिखा कर स्वप्न आँखों को भुला कर प्यार बैठे... Hindi · मुक्तक 730 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Aug 2017 · 1 min read मित्रता (मुक्तक) "मित्रता" बनी ये मित्रता हमराज़ दिल की शान होती है। यही सुख दुख भरोसे की सही पहचान होती है। सदा हँस कर निभाना साथ नफ़रत को मिटा कर तुम- भुला... Hindi · मुक्तक 1 384 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Aug 2017 · 1 min read मुक्तक मुक्तक ***** जहाँ इंसान बिकता है वहाँ किसका ठिकाना है। फ़रेबी बात उल्फ़त में यहाँ करता ज़माना है। समझ कर कीमती मुझको लगादीं बोलियाँ मेरी- सिसकती आबरू कहती यही मेरा... Hindi · मुक्तक 1 486 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 24 Jul 2017 · 1 min read *पायलिया* मुक्तक *पायलिया* ******* बरसती बारिशों में आग पायलिया लगाती है। दिलों में कोकिला सी राग भर सरगम सुनाती है। बनी ये रेशमी धड़कन ज़माने को करे घायल। सरकती चादरों पे रात... Hindi · मुक्तक 1 493 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 21 Jul 2017 · 1 min read "इंसानियत" मुक्तक इंसानियत ****** पहन कर बैर का जामा बढ़ाते हसरतें क्यों हो? पढ़ा कर पाठ मज़हब का उठाते ज़हमतें क्यों हो? रहीमा राम बन जाए मुहब्बत का सबक सीखें मिला कर... Hindi · मुक्तक 1 235 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 19 Jul 2017 · 1 min read "मधुशाला" मुक्तक "मधुशाला" मुक्तक ********* छुआ दे आज अधरों से अधर का जाम मतवाला। बुझे ना प्यास महफ़िल में लगे फ़ीकी सरस बाला। भिगो कर जिस्म नूरानी फ़िज़ाओं में महक भर दूँ।... Hindi · मुक्तक 2 544 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 18 Jul 2017 · 1 min read "इंसानियत" मुक्तक "इंसानियत" ******** बहा कर प्रीत का सागर, सरस सम भाव उपजाएँ। बनें हम नेक फ़ितरत से, चलो इंसान बन जाएँ। मिटा कर नफ़रती दौलत मुहब्बत का सबक सीखें। भुला कर... Hindi · मुक्तक 1 230 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Jul 2017 · 1 min read *समंदर* मुक्तक समंदर (मुक्तक) कभी खाली नहीं रहता समंदर आँख का ए दिल। ग़मों की तैरती कश्ती कभी रूँठा हुआ साहिल। उठा तूफान भीतर है निगल खामोश तन्हाई। बहा ले जायगा सैलाब... Hindi · मुक्तक 1 324 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 25 Jun 2017 · 1 min read ईद मुबारक(मुक्तक) ईद मुबारक !!! मुबारक ईद हो तुमको तुम्हारी दीद बन जाऊँ। बनी मुस्कान अधरों की तुम्हारी प्रीत बन जाऊँ। भुला रंज़ों ग़मों को प्यार से रिश्ते निभा डालो। गले लग... Hindi · मुक्तक 1 531 Share Page 1 Next