महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali Tag: कविता 79 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 16 May 2021 · 2 min read षोडश दोहा वृष्टि शीतलता चारों तरफ़, आई बरखा झूम मन उपवन में कोकिला, कूक मचाये धूम // 1. // प्रेम मयूरा नाचता, आग लगी घनघोर बारिश में तन भीगता, हिया मचाये शोर //... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 22 42 2k Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 29 Mar 2021 · 8 min read श्री साईं के सत्रह भजन (भजन एक) ईश्वर है, अल्लाह है, तू ही मेरा राम सुन ले साईं राम तू, सुन ले साईं राम जब उभरे कष्ट कोई, तूने कष्ट हरा है जिसपे कृपा तेरी,... Hindi · कविता 1 1 379 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 1 Feb 2021 · 2 min read क्योंकर जलाये वो, कुछ ख़त ... क्योंकर जलाये वो, कुछ ख़त महब्बत के लिखवाये हसरत ने, जो तेरी चाहत के अब भी ज़हन में हैं, बेशक जले वो ख़त वो शब्द उल्फ़त के, मजरूह निस्बत के... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 10 98 775 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 19 Jan 2021 · 1 min read बन्दा था सिर्फ एक यारो बन्दा था सिर्फ एक वो उसके लिए बातें हुईं अनेक क्यों पोस्ट पर उसकी अब ये हल्ला है ये तो मोदी-शाह का दल्ला है कभी बहन जी का उसे... Hindi · कविता 1 280 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 15 Dec 2020 · 1 min read कोरोना दोहा नवमी कोरोना ने विश्व को, दिया अजब सन्देश कुदरत का सम्मान हो, दिया ग़ज़ब आदेश //1.// है कोरोना से दुखी, यह समस्त संसार समय अभी है चेतिए, बदलो दुर्व्यवहार //2.// कोरोना... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 28 129 1k Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 10 Jul 2020 · 1 min read चुप ओढ़ना थी कहाँ आदत मिरी चुप ओढ़ना बन गई फ़ितरत मिरी चुप ओढ़ना क्यों किसी से कह न पाया हाले-दिल क्यों बनी चाहत मिरी चुप ओढ़ना वक़्त ने गूँगे किये जज़्बात... Hindi · कविता 2 1 245 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 18 Feb 2019 · 1 min read विचित्र अनुभूतियाँ रात मेरे कवि हृदय में उपजीं कई विचित्र अनुभूतियाँ— देख रहा हूँ कुंठित भाव संकुचित हृदय आँखों में अश्रुधार लिए बैसाखियाँ थामे खड़े हैं विश्व के समस्त असहाय पत्रकार! अनुभूतियाँ... Hindi · कविता 1 320 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 14 Feb 2019 · 1 min read आदि सृष्टि से एक कण से दूसरे कण तक.... एक प्राण से दूसरे प्राण तक.... पुरातन चेतन से नवचेतन तक.... न टूटने वाली निरन्तर सतत प्रक्रिया है आदि सृष्टि से .... भविष्य के... Hindi · कविता 1 231 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 6 Feb 2019 · 1 min read वक़्त वक़्त तेज़ी से बदल रहा है लेकिन बदलते वक़्त में भी यह समझना आवश्यक है कि अपनी जड़ों को छोड़ देने से वृक्ष का अस्थित्व ख़त्म हो जाता है … Hindi · कविता 226 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 12 Nov 2018 · 1 min read कविता की नदिया शब्द कहें तू न रुक भइया कदम बढ़ाकर चल-चल-चल-चल कविता की नदिया बहती है करती जाए कल-कल-कल-कल कविता की नदिया बहती है.......... काग़ज़ पर होती है खेती हर भाषा के... Hindi · कविता 411 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 5 Nov 2018 · 1 min read स्वर्णिम अध्याय है माँ आदि श्रृष्टि का स्वर्णिम अध्याय है माँ करुणा-ओ-ममता का पर्याय है माँ धर्म-कर्म की सारगर्भित व्याख्या में जीवन गीता का स्वाध्याय है माँ वो द्रवित होती संतानों के दुःख में... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 14 33 1k Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 8 Mar 2018 · 1 min read वीरवर (कारगिल विजय के सुअवसर पर) धन्य हमारी मातृभूमि, धन्य हमारे वीरवर लौट आये कालमुख से, शत्रु की छाती चीरकर बढ़ चले विजयनाद करते, काल को परास्त कर रीढ़ शत्रु का तोड़ आये, वज्र मुश्ठ प्रहार... Hindi · कविता 1 249 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 7 Mar 2018 · 3 min read १५ क्षणिकाएँ (१.) तार ———– आत्मा एक तार है जोड़ रखा है जिसने जीवन को मृत्यु से और मृत्यु को जोड़ा है … पुन: नवसृजन से …. (२.) क्रांति ————- परत-दर-परत खुल... Hindi · कविता 1 536 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read टूटा हुआ दर्पण एक टीस-सी उभर आती है जब अतीत की पगडंडियों से गुजरते हुए यादों की राख़ कुरेदता हूँ । तब अहसास होने लगता है कितना स्वार्थी था मेरा अहम? जो साहित्यिक... Hindi · कविता 1 320 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read महानगर में कौन से उज्जवल भविष्य की खातिर हम पड़े हैं— महानगर के इस बदबूदार घुटनयुक्त वातावरण में । जहाँ साँस लेने पर टी०बी० होने का खतरा है जहाँ अस्थमा भी बुजुर्गों... Hindi · कविता 224 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read विरासत जानते हो यार मैंने विरासत में क्या पाया है? जहालत मुफ़लिसी बेरुख़ी तृषकार, ईष्या, कुंठा आदि- आदि शब्दों की निरंतर लम्बी होती सूची जो भविष्य में... एक विस्तृत / विशाल... Hindi · कविता 238 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read जीवन आधार फूल नर्म, नाजुक और सुगन्धित होते हैं उनमें काँटों-सी बेरुखी कुरूपता और अकड़न नहीं होती जिस तरह छायादार और फलदार वृक्ष झुक जाते हैं औरों के लिए उनमें सूखे चीड़-चिनारों... Hindi · कविता 1 374 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read मन्त्रमुग्ध गढ़वाल 'गढ़वाल' जैसे किसी चित्रकार की कोई सुन्दर कलाकृति बावजूद आधुनिक संसाधनों के अभाव में यहाँ निरंतर प्राकृतिक सौन्दर्य के भाव में छिपी है अध्यात्मिक भूख और आत्मतृप्ति भौतिकवाद दिखावे के... Hindi · कविता 1 272 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read आसरा कौन रोक सका है ? या रोक सकता है तूफ़ान या भूचाल को! ये तो सदियों से आये आते रहेंगे मनुजों .... ऐसे में --- जो कमज़ोर हैं उनका उखड़... Hindi · कविता 1 188 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read दस्तक काल के कपाल पर अगर मेरी रचनाएँ दस्तक नहीं दे सकती बुझे हुए चेहरों पर रौनक नहीं ला सकती मजदूरों के पसीने का मूल्यांकन नहीं कर सकती शोषण करने वालों... Hindi · कविता 508 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read मौत मौत तुम भी क्या खूब खेल खेलती हो? जब हमारे दिल में जीने की चाह होती है तुम आ टपकती हो; तमाशा करती मजा लेती हो । जब हम मरना... Hindi · कविता 185 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read रामराज गाँधी जी कहते थे जब भारत स्वतंत्र होगा तो रामराज आ जायेगा अछूतोद्धार होगा जातपात; छुआछूत; अस्पृश्यता का अंत होगा सर्वधर्म एक नियम होगा गौपूजा होगी हर कोई एक-दूजे के... Hindi · कविता 212 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read दृढ़ता कभी आश्रित नहीं जीवन कभी मोहताज नहीं होता मोहताज तो होता है हीन विचार, निजी स्वार्थ और क्षीण आत्मविश्वास । क्योंकि यह मृगमरीचिका व्यक्ति को उस वक्त तक सेहरा में भटकती है जब... Hindi · कविता 189 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read हकीकत जब भी मैं समझता हूँ बड़ा हो गया हूँ अदना आदमी से खुदा हो गया हूँ तो इतिहास उठा लेता हूँ ये भ्रम खुद-ब-खुद टूट जाता है मौत रूपी दर्पण... Hindi · कविता 208 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read मवाद धर्म जब तक मंदिर की घंटियों में मस्जिद की अजानों में गुरूद्वारे के शब्द-कीर्तनों में गूंजता रहे तो अच्छा है मगर जब वो उन्माद-जुनून बनकर सड़कों पर उतर आता है... Hindi · कविता 240 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read पतन मानव को अनेक चिन्तायें चिन्ताओं के अनेक कारण कारणों के नाना प्रकार प्रकारों के विविध स्वरुप स्वरूपों की असंख्य परिभाषायें परिभाषाओं के महाशब्दजाल शब्दजालों के घुमावदार अर्थ प्रतिदिन अर्थों के... Hindi · कविता 211 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read पाँव पाँव थककर भी चलना नहीं छोड़ते जब तक वे गंतव्य तक न पहुँच जाएँ ... थक जाने पर कुछ देर राह में विश्राम कर पुन: चल पड़ते हैं अपने लक्ष्य... Hindi · कविता 2 1 358 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 30 Jan 2017 · 9 min read 150 जनक छन्द १. जनक छंद की रौशनी चीर रही है तिमिर को खिली-खिली ज्यों चाँदनी ••• २. भारत का हो ताज तुम जनक छंद तुमने दिया हो कविराज अराज तुम ••• ३.... Hindi · कविता 2 2 748 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 26 Jan 2017 · 2 min read एक मई का दिन कुछ भी तो ठीक नहीं इस दौर में! वक्त सहमा हुआ एक जगह ठहर गया है!! जैसे घडी की सुइयों को किसी अनजान भय ने अपने बाहुपाश में बुरी तरह... Hindi · कविता 254 Share Previous Page 2