Shivkumar Bilagrami 174 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Shivkumar Bilagrami 22 Sep 2022 · 1 min read मस्तान मियां ताजमहल का राज़ बताकर खूब हँसे मस्तान मियाँ मुर्दा दिलों में आग लगाकर ख़ूब हँसे मस्तान मियाँ ज़ोर-ज़बर से इश्क न होये, राज न होये ज़ोर-ज़बर लाल किला को आँख... Hindi · ग़ज़ल 1 165 Share Shivkumar Bilagrami 22 Sep 2022 · 1 min read مستان میاں تاج محل کا راز بتا کر خوب ہنسے مستان میاں مردہ دلوں میں آگ لگا کر خوب ہنسے مستان میاں زور زبر سے عشق نہ ہوۓ ، راج نہ ہوئے... Urdu · غزل 1 184 Share Shivkumar Bilagrami 17 Sep 2022 · 1 min read ज़िन्दगी रोज़ मेरी ऐसे बदलती है यहाँ ज़िन्दगी रोज़ मेरी ऐसे बदलती है यहाँ जैसे इक शाम किसी रात में ढलती है यहाँ ओढ़कर ख़ुशियाँ मेरे दर्द भी कुछ यूँ निकले जैसे दुल्हन कोई सज धज के... Hindi · ग़ज़ल 5 1 174 Share Shivkumar Bilagrami 15 Sep 2022 · 1 min read प्रेम की परिभाषा प्रेम नहीं है क्रिया सकर्मक प्रेम नहीं है क्रिया अकर्मक प्रेम नहीं है भूख प्यास सा प्रेम नहीं है क्षणिक लालसा प्रेम नहीं है बन्धन में रहना प्रेम नहीं है... Hindi · कविता 4 2 433 Share Shivkumar Bilagrami 6 Sep 2022 · 1 min read तेरे बिना ये ज़िन्दगी न तो निगाहे ग़ौर है , न ही बयाने हाल है तेरे बिना ये ज़िन्दगी तो इक बड़ा सवाल है अजीब ख़ुदकुशी में हूं जो जी रहा हूं मौत को... Hindi · ग़ज़ल 2 4 215 Share Shivkumar Bilagrami 29 Aug 2022 · 1 min read No one plans to fall in Love No one plans to fall in Love It happens...just happens... It happens like a slip on rough terrain ...and there is no reason to explain Why it happened soooo... It... English 2 1 322 Share Shivkumar Bilagrami 23 Aug 2022 · 1 min read सबके अपने अपने मोहन भारत में हर घर वृंदावन सबके अपने-अपने मोहन कोई कहे वो कृष्ण कन्हैया कोई कहे वो रास रचैया कोई माखन चोर बतावे कोई कहे हलधर का भैया सबके अपने नामकरण... Hindi · गीत 4 1 1k Share Shivkumar Bilagrami 23 Aug 2022 · 1 min read ताज़गी आप का अपना अगर कोई नहीं है तो किसी के आप ही ख़ुद हो के देखो सुब्ह उठकर ताज़गी महसूस होगी रात में सोने से पहले रो के देखो -... Hindi · शेर 3 1 215 Share Shivkumar Bilagrami 19 Aug 2022 · 1 min read कान्हा तोरी याद सताए सांझ ढले तो मन अकुलाये कान्हा तोरी याद सताये कान्हा तोरी भोली सुरतिया इन नैनन को ऐसे भाये जैसे सुर का साधक कोई साज़ देखि के जी ललचाये आ जा... Hindi 3 303 Share Shivkumar Bilagrami 6 Aug 2022 · 1 min read जय हिन्द , वन्दे मातरम् कोई भी पंथ हो अपना कोई भी हो धरम सभी मिलकर कहो जय हिन्द वन्दे मातरम् वतन पर जो हुए कुर्बान उनकी सोचिए शहीदों ने वतन पर प्राण अपने क्यों... Hindi 4 2 629 Share Shivkumar Bilagrami 4 Aug 2022 · 1 min read युद्ध के उन्माद में है न जाने कौन सा आनन्द इस अतिवाद में है जिसे देखो वही अब युद्ध के उन्माद में है कभी भी युद्ध से होती नहीं है हल समस्या समर्थक युद्ध का... Hindi 3 2 306 Share Shivkumar Bilagrami 30 Jul 2022 · 1 min read सर्वश्रेष्ठ गीत - जीवन के उस पार मिलेंगे जब हम तन में नहीं रहेंगे तब हम अगणित बार मिलेंगे जीवन के इस पार नहीं तो , जीवन के उस पार मिलेंगे जहां चिताएं जलें न जल्दी उस मरघट... Hindi 11 6 1k Share Shivkumar Bilagrami 24 Jul 2022 · 1 min read जितनी बार निहारा उसको जितनी बार निहारा उसको उतनी बार नशे में डूबा उसकी आंखें उसके जैसी उसका चेहरा उसके जैसा उसका जलवा अजब निराला कहीं न देखा हमने वैसा जिसको देखे घायल कर... Hindi 3 2 278 Share Shivkumar Bilagrami 18 Jul 2022 · 1 min read पैसा बना दे मुझको चाहे तमाम दुनिया ऐसा बना दे मुझको दुनिया बनाने वाले पैसा बना दे मुझको सब हैं तेरे मुरादी सबको तेरा सहारा सबकी ख़ुशी हो जिसमें वैसा बना दे मुझको मुझको... Hindi 6 8 1k Share Shivkumar Bilagrami 13 Jul 2022 · 3 min read अच्छा मित्र कौन ? लेख - शिवकुमार बिलगरामी जीवन में मित्रों की बहुत अधिक अहमियत है। मित्र हमारा एकाकीपन बांटते हैं और अवसाद के क्षणों में हमें संबल प्रदान करते हैं । जो बातें हम अपने मित्रों के... Hindi 5 6 610 Share Shivkumar Bilagrami 11 Jul 2022 · 1 min read सफ़र में रहता हूं किसी के दिल में बसा हूं न घर में रहता हूं मैं सुब्ह-ओ-शाम मुसलसल सफ़र में रहता हूं कहीं पनाह मिले तो मैं जा के छुप जाऊं मुझे है फ़िक्र... Hindi 7 9 704 Share Shivkumar Bilagrami 4 Jul 2022 · 1 min read सागर ही क्यों सागर में आख़िर ऐसा क्या जंतर मंतर होता है सागर ही क्यों इन बहते दरियाओं का घर होता है हद से बाहर जाने वाले दरिया जैसे बहते हैं अपनी हद... Hindi 10 5 1k Share Shivkumar Bilagrami 3 Jul 2022 · 1 min read آج کی رات ان آنکھوں میں بسا لو مجھ کو آج کی رات ان آنکھوں میں بسا لو مجھ کو اپنی بکھری ہوئی زلفوں میں چھپا لو مجھ کو تم سے ملنے کے لیے دور سے آیا ہوں مین اور... Urdu 1 209 Share Shivkumar Bilagrami 1 Jul 2022 · 1 min read खेलता ख़ुद आग से है - मेरा दिल भी जैसे कोई एक बच्चा है खेलता ख़ुद आग से है और रोता है मुद्दतों के बाद अपनों ने ख़बर ली है आपको डर हो न हो... Hindi 2 179 Share Shivkumar Bilagrami 26 Jun 2022 · 1 min read पहले ग़ज़ल हमारी सुन पहले ग़ज़ल हमारी सुन बाद में ग़ज़लें सारी सुन चढ़ , पर्बत की चोटी पर मन की पंख पसारी सुन हर मन्तर से बढ़कर है मां की नज़र उतारी सुन... Hindi 3 433 Share Shivkumar Bilagrami 16 Jun 2022 · 1 min read हमदर्द कैसे-कैसे हमदर्द कैसे कैसे हमको सता रहे हैं काँटों की नोक से जो मरहम लगा रहे हैं मैं भी समझ रहा हूँ मजबूरियों को उनकी दिल का नहीं है रिश्ता फिर... Hindi 4 6 392 Share Shivkumar Bilagrami 9 Jun 2022 · 2 min read बुद्धिमान बनाम बुद्धिजीवी संसार में दो तरह के लोग होते हैं- बुद्धिमान और बुद्धिजीवी। बुद्धिमान लोग वो होते हैं जो सदैव कुछ सीखने, जानने और उसे अपने जीवन में उतारने के लिए तत्पर... Hindi · लेख 1 706 Share Shivkumar Bilagrami 5 Jun 2022 · 2 min read धार्मिक बनाम धर्मशील धर्म को लेकर समाज में बहुत अधिक भ्रांतियां हैं। प्रबुद्ध वर्ग की धारणा है कि आधुनिक समाज में धर्म झगड़े की जड़ है। इसी के कारण समाज में दंगे फ़साद... Hindi · लेख 4 1 924 Share Shivkumar Bilagrami 2 Jun 2022 · 1 min read चराग़ों को जलाने से इनके धूएं से तेरे ताक़ तो काले होंगे पर , चराग़ों को जलाने से उजाले होंगे फ़िक्रे दुनिया में मिटाया है जिन्होंने ख़ुद को ऐसे लोगों के ख़यालात निराले होंगे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 10 12 430 Share Shivkumar Bilagrami 26 May 2022 · 1 min read غزل - دینے والے نے ہمیں درد بھائی کم نہ دیا جس نے بھی زخم دیا اس نے مرہم نہ دیا دینے والے نے ہمیں درد بھی کم نہ دیا میرے دکھ درد کو جو دل سے محسوس کرے میری قسمت... Urdu · غزل 1 291 Share Shivkumar Bilagrami 24 May 2022 · 2 min read हम अपने मन की किस अवस्था में हैं हमारा स्थूल शरीर जन्म से मृत्यु तक 5 अवस्थाओं से गुजरता है - (1) बाल्यावस्था (2) किशोरावस्था (3) युवावस्था (4) प्रौढ़ावस्था और (5)वृद्धावस्था । ये पांचो अवस्थाएं शरीर के क्रमिक... Hindi · लेख 5 2 2k Share Shivkumar Bilagrami 24 May 2022 · 2 min read भक्त और अंधभक्त कई बार निरर्थक शब्द भी बहुतायत में उपयोग के कारण समाज में अत्यधिक महत्वपूर्ण बन जाते हैं । इसके विपरीत अत्यधिक अर्थवान शब्द भी अपने अनुपयोग /दुरुपयोग के कारण अपनी... Hindi · लेख 3 2 966 Share Shivkumar Bilagrami 22 May 2022 · 1 min read गीत - मैं अकेला दीप हूं हर किसी दीपक को अपने मन की रातें मिल गयीं मैं अकेला दीप हूँ जो जल रहा हूँ धूप में ज़िन्दगी मेरी नियति का खेल बनकर रह गई जो व्यथा... Hindi · गीत 1 207 Share Shivkumar Bilagrami 10 May 2022 · 1 min read साजन जाए बसे परदेस दुल्हन से मैं बिरहन हो गई साजन जाए बसे परदेस किसके हाथ पिया को भेजूं घर लौटन दा संदेश किसके ख़ातिर पहनूं चूड़ी कौन सुनेगा खनक चुड़िन दी किसके ख़ातिर... Hindi · लोकगीत 1 449 Share Shivkumar Bilagrami 28 Apr 2022 · 1 min read थक चुकी ये ज़िन्दगी ज़िन्दगी की शम्अ को ज़ब्ते ग़म बुझा न दे थक चुकी ये ज़िन्दगी मुझको हौसला न दे दानादिल को है पता हाले-दिल ग़रीब का सब्र तू बनाए रख सब्र से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 329 Share Shivkumar Bilagrami 27 Apr 2022 · 1 min read बाज़ार ख़ुद को बाज़ार बनाओगे तो बिक जाओगे ख़ुद को फ़नकार बनाओगे तो टिक जाओगे शिवकुमार बिलगरामी Hindi · शेर 1 248 Share Shivkumar Bilagrami 22 Apr 2022 · 1 min read मेरे दिल को मेरे दिल को आज फिर से आज़माकर देखिए चंद लम्हों के लिए इसको सता कर देखिए हर हक़ीक़त को यहाँ अब मुँह छिपाकर देखिए धूप को भी धूप का चश्मा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 215 Share Shivkumar Bilagrami 15 Apr 2022 · 1 min read इक रोज़ ... इक रोज़ तेरे इन मौजों की हम पर भी इनायत हो जाये हम रोज़ शिकस्ता कश्ती पर साहिल की तमन्ना करते हैं ...शिवकुमार बिलगरामी Hindi · शेर 1 176 Share Shivkumar Bilagrami 8 Apr 2022 · 1 min read جو بھی شیشہ ۔۔۔ جو بھی شیشہ پتھروں کو آئینہ دکھلاۓ گا ٹوٹ جاۓ گا یقینا وہ نہیں بچ پائے گا بھول جاؤ پھول برسیں گے کبھی اس ہاتھ سے سنگ کو برسانے والا... Urdu · غزل 2 193 Share Shivkumar Bilagrami 5 Apr 2022 · 1 min read आंख ऊपर न उठी... आँख ऊपर न उठी लाख उठाई मैंने रस्मे-फुर्क़त बड़ी मुश्किल से निभाई मैंने उसके जाने का अलम कैसे बताऊँ तुमको जैसे इस जिस्म से हो जान गँवाई मैंने उसकी तस्वीर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 400 Share Shivkumar Bilagrami 2 Apr 2022 · 1 min read जयति जयति जय , जय जगदम्बे जयति जयति जय , जय जगदम्बे असुर मर्दिनी जय मां दुर्गे सिद्धिदायिनी मां शतरूपा परम सुंदरी रूप अनूपा कृष्णा गौरी चंद्रघटा तुम तुम ही देवी आदि स्वरूपा जगत प्रिया शिव... Hindi · कविता 1 1k Share Shivkumar Bilagrami 1 Apr 2022 · 1 min read हो पाए अगर मुमकिन तुम मेरी ख़ताओं की ख़ुद को न सज़ा देना हो पाए अगर मुमकिन तो मुझको भुला देना मैं याद अगर आऊं , रातों के अंधेरों में तुम ग़म न मेरा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 439 Share Shivkumar Bilagrami 29 Mar 2022 · 1 min read कितने रूप तुम्हारे देखे गीत अन्धकार के आह्वाहन पर दौड़ लगाते तारे देखे ..... कितने रूप तुम्हारे देखे क्षिप्त चित्त की तमस भूमि पर एकाग्र चित्त का सम्मेलन उत्कर्ष हृदय के वेगों पर अधिकार... Hindi · गीत 3 1 528 Share Shivkumar Bilagrami 23 Mar 2022 · 1 min read اپنوں سے نہ غیروں سے ۔۔۔ اپنوں سے نہ غیروں سے کوئی بھی گلہ رکھنا آنکھوں کو کھلا رکھنا ہونٹوں کو سلا رکھنا جو زخم ملا تم کو اپنے ہی عزیزوں سے کیا خوب مزہ دیگا... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 250 Share Shivkumar Bilagrami 23 Mar 2022 · 1 min read अपनों से न गै़रों से कोई भी गिला रखना अपनों से न गै़रों से कोई भी गिला रखना आँखों को खुला रखना होठों को सिला रखना जो ज़ख्म मिला तुमको अपने ही अज़ीज़ों से क्या ख़ूब मज़ा देगा तुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 211 Share Shivkumar Bilagrami 22 Mar 2022 · 1 min read प्यार करते हो मुझे तुम तो यही उपहार देना प्यार करते हो मुझे तुम तो यही उपहार देना मैं तुम्हारा हो न पाऊँ , फिर भी मुझको प्यार देना तुम अगर मेरे सुहृद हो तो मुझे तुम प्यार करना... Hindi · गीत 3 1 482 Share Shivkumar Bilagrami 21 Mar 2022 · 1 min read शिव स्तुति कौन दिशा में छुपकर बैठा ओ गंगाधर पर्वतवासी एक झलक दिखला जा मुझको ढूँढ रही हैं अंखियाँ प्यासी भव विरुपाक्ष जटाधर तारक तेरे नाम लगें अति सुन्दर तू ही सोम... Hindi · कविता 1 717 Share Shivkumar Bilagrami 20 Mar 2022 · 1 min read गीत - कौन चितेरा चंचल मन से कौन चितेरा चंचल मन से अन्तर मन में झाँक रहा है कौन हमारे मन की ताक़त अपने मन से आँक रहा है कौन पथिक है अति उत्साही पथ के जो... Hindi · गीत 4 2 711 Share Shivkumar Bilagrami 19 Mar 2022 · 1 min read मां के बिन क्या ज़िन्दगी ऐसे सताती है माँ मुझे अपनी क़सम अक्सर खिलाती है ख़ुद कभी मेरी क़सम हरगिज़ न खाती है हर कोई मुझको बुरा कहता ज़माने में एक माँ है जो मुझे अच्छा बताती है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 455 Share Shivkumar Bilagrami 19 Mar 2022 · 1 min read ماں ماں مجھے اپنی قسم اکثر کھلاتی ہے خود کبھی میری قسم ہرگز نہ کھاتی ہے ہر کوئی مجھ کو برا کہتا زمانے میں ایک ماں ہے جو مجھے اچھا بتاتی... Urdu · غزل 1 467 Share Shivkumar Bilagrami 18 Mar 2022 · 1 min read ज़िन्दा रहना है तो जीवन के लिए लड़ अपने घर में बड़े आंगन के लिए लड़ अपनी बस्ती में खुलापन के लिए लड़ माल प्लाज़ा की ज़रूरत तुझे क्या है फूल खिलते हुए उपवन के लिए लड़ बैठ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 899 Share Shivkumar Bilagrami 17 Mar 2022 · 1 min read डर इतना अच्छा आप से मिलकर लगे हिज्र की बातें सुनूं तो डर लगे मुस्कुराहट भी तुम्हारी कम नहीं पर हंसी तो और भी सुन्दर लगे धड़कनों में तेरा कारोबार है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 602 Share Shivkumar Bilagrami 15 Mar 2022 · 1 min read میرے ذکر کا کل اثر ان پہ کیا ہے میرے ذکر کا کل اثر ان پہ کیا ہے کہ ٹوٹا ہے دل یا کلیجہ پھٹا ہے کیا تصویر میری رکھی وہ چھپا کر کہ اس کو ابھی بس ذرا... Urdu · غزل 1 220 Share Shivkumar Bilagrami 15 Mar 2022 · 1 min read दिलावर किसने वार सहे हैं सबके किसने सबको मुआफ़ किया जिस्म जिगर जां ज़ख़्मी पाकर कौन दिलावर मुस्काया -शिवकुमार बिलगरामी Hindi · शेर 1 222 Share Shivkumar Bilagrami 14 Mar 2022 · 1 min read कौन नगर में फिर आया लिखते गाते गीत ग़ज़ल यह कौन नगर में फिर आया किसके दिल में पीर उठी है कौन मेरा है हमसाया किसने अपने शहर को छोड़ा किसने छोड़ा घर अपना किसने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 288 Share Previous Page 2 Next