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17 Sep 2022 · 1 min read

ज़िन्दगी रोज़ मेरी ऐसे बदलती है यहाँ

ज़िन्दगी रोज़ मेरी ऐसे बदलती है यहाँ
जैसे इक शाम किसी रात में ढलती है यहाँ

ओढ़कर ख़ुशियाँ मेरे दर्द भी कुछ यूँ निकले
जैसे दुल्हन कोई सज धज के निकलती है यहाँ

मेरी आँखों से मेरे दिल में कोई यूँ उतरा
जैसे शीशे पे कोई बूँद फिसलती है यहाँ

एक हसरत जिसे तुमने न हवा दी कोई
मेरी हर साँस में हसरत वही पलती है यहाँ

तू ने जो प्यार की इक शम्अ जलाई थी कभी
आज तक शम्अ वही प्यार की जलती है यहाँ

—शिवकुमार बिलगरामी

Language: Hindi
5 Likes · 1 Comment · 162 Views
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