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19 Aug 2022 · 1 min read

कान्हा तोरी याद सताए

सांझ ढले तो मन अकुलाये
कान्हा तोरी याद सताये

कान्हा तोरी भोली सुरतिया
इन नैनन को ऐसे भाये
जैसे सुर का साधक कोई
साज़ देखि के जी ललचाये

आ जा बैरी पास हमारे
तोरे बिना अब रहा न जाए
कान्हा तोरी याद सताये
सांझ ढले तो मन अकुलाये
कान्हा तेरी याद सताये

भोली सुरतिया तिरछी नजरिया
अधरन पर है धरी बंसुरिया
अधरन पर जो धरी बंसुरिया
उसे बजावैं चार अंगुरिया

कान्हा तोरी बांस बंसुरिया
दिल मा मोरे हूक उठाये
कान्हा तोरी याद सताये
सांझ ढले तो मन अकुलाये
कान्हा तोरी याद सताये

रचयिता : शिवकुमार बिलगरामी

Language: Hindi
3 Likes · 298 Views
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