अवधेश कुमार राय 32 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अवधेश कुमार राय 22 Nov 2018 · 1 min read जिद है। तुमसे मिलने की जिद है हमारी निगेहबान रहे। हम रहे ना रहे आप हमारी शब्दों में पहचान रहे। गुलों से टूट कर हम क्यों न बिखर जाएं यार। हम रहे... Hindi · मुक्तक 1 2 297 Share अवधेश कुमार राय 19 Nov 2018 · 1 min read नकाब इन चेहरों के पीछे कई नकाब है। इन हसरतों के पीछे कई नकाब है। इन चेहरों में होती हैं बांटने की साजिश। इन रकीबों के पीछे कई नकाब है। हम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 458 Share अवधेश कुमार राय 9 May 2017 · 1 min read प्रजातंत्र अब कौन का तंत्र हैं. कहने को प्रजातंत्र है. मौलिकता की खोज में. वादो यादो की सोच में. जरा ठहर अभी तो जागा हैं. मुल्क मेरा क्यो अभागा है. चोरी... Hindi · कविता 920 Share अवधेश कुमार राय 19 Nov 2018 · 1 min read थक गया हूं तुझ पर लिख कर थक गया हूं। सनम सच कहुंगा थम गया हूं। तुझसे मिलने की कोशिश करूं कैसे। कदम तेरे घर की दहलीज पर ठिठक गया हूं। रूबरू होकर... Hindi · कविता 245 Share अवधेश कुमार राय 21 Jun 2018 · 2 min read चाचाजान ऐसे तो हमारे चाचा जी काफी जिंदादिल इंसान हैं, मगर जब से देश में अफजल जिंदाबाद के नारे सुने हैं तब से थोड़े भावुक रहते हैं भावुक हो भी क्यों... Hindi · लघु कथा 442 Share अवधेश कुमार राय 2 Feb 2018 · 1 min read उदाश हूँ सुबह से उदास हूँ, मैं एक ख्याल सा. कुछ खो गया दिल तन्हा उदास सा. ये ख्याल किसी चाहत की जुर्रत। या जुगरे रातों की अनकही कहानी। जो दिल का... Hindi · कविता 1 668 Share अवधेश कुमार राय 2 Feb 2018 · 1 min read कुण्डलीया तेरी नाजुकाना कलाईयां है. यह लेती मेरी बलाइयां है मेरी बलाइयां ही नहीं. इश्क़ पर चढ़ाती प्रेम की रंगिनीया है. जरा संभल मंजर मेरे इश्क़ के. यही ख्याल मेरे इश़्क... Hindi · कुण्डलिया 228 Share अवधेश कुमार राय 2 Feb 2018 · 1 min read मुक्तक ये मेरी पंक्तियां तुम्हें पुकारती है. हर दिन सिर्फ़ तु याद आती है. बहोत बहलाया हमनें अपनी तजुर्बे से इसे. मगर दिल नादान कहाँ समझ पाया है। अवधेश कुमार राय... Hindi · मुक्तक 405 Share अवधेश कुमार राय 28 Jan 2018 · 1 min read कुण्डलीया मौसम का उतार चढ़ाव, उफ तेरा उदास होना. एक दिल से दिल का टुकड़ों में इकरार होना. इन टुकड़ों में दे आयें हम इश्क़ आपको. लम्हा तुझ बिन बेकरार होना.... Hindi · कुण्डलिया 313 Share अवधेश कुमार राय 18 Jan 2018 · 1 min read भूलने की ज़िद भुलाने की ज़िद तुम्हारी थी. हमें क्यों रखा भुलाने वालो में. शाम क़ातिल थी. क्यू रखा हमदर्दी जताने वालो में. बड़े मुख़तलिफ़ थे हम आपके चाहने वालो में. हमें अपने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 276 Share अवधेश कुमार राय 18 Jan 2018 · 1 min read दिल फेक है बड़े दिल फेक है, साहब. तुम्हारे शहर के चाहने वाले। सब ने दिल में ख्वाहिशे रखी. आपको बेताब चाहने वाले. सब्र रख मेहविश अपने इत्तदा पर. हर किसी को ख्वाहिश... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 340 Share अवधेश कुमार राय 6 Jan 2018 · 1 min read अधरों पर रखी हसरते मुल्तवी रात की हर पहर ख्वाहिशे ले गई. दिल ने सज़दा किया मेरी ज़िक्र ले गयी. तुम सम्भालो मुझे रात कुछ केह गयी. दिल की तम्मना जवां बात दिल की कह... Hindi · शेर 284 Share अवधेश कुमार राय 6 Jan 2018 · 1 min read भूलने की अदा सीखी है.. अजामती रही है, मुझे तेरी यादें। तू नहीं हरगिज़ नहीं मानु कैसे। हमें आज़माती रही तेरी यादें.. लाख हम निकलने की कोशिश करे खुद से. खुदा निकलने ही नहीं देती... Hindi · मुक्तक 404 Share अवधेश कुमार राय 27 Dec 2017 · 1 min read नफ़रत इतनी गैरत भरी नज़रो से न देख मौकील, मुझे इतनी नफरतों से न देख मौकील, तेरे इत्तिदा के दिन गैर हो रहे है, मुझे तराश रहे तेरे शहर के हुक्काम।... Hindi · कविता 388 Share अवधेश कुमार राय 18 Jul 2017 · 1 min read शाम - ए- दिल्ली अजब सी कैफियत में दिल लिए घुम रहा दिल्ली. शहरी हलचल की तस्ववुर में झुम रही दिल्ली. बैचेन सभी हसीन चेहरे शौख -ए- नजर. कितनी गुमानियत में फिर रही दास्ताख... Hindi · मुक्तक 1k Share अवधेश कुमार राय 21 Jun 2017 · 1 min read रुका तो था पुरानी चौक पर जब से गुजरा हुं तेरी गली से. हर सांस याद आ गई. वो मेरी पहली मोहब्बत थी कभी. मुझे तेरा हर बात याद आ गई. ठहरा तो था तेरे चौक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 240 Share अवधेश कुमार राय 28 Jan 2017 · 2 min read कोयले की कालिख जब मैं छोटा था, मेरे शहर में कोयले जलाये जाते थे, जलावन के लिए. हर तरफ सिर्फ कोयले का कारोबार नजर आता था, चाहे वो उच्च वर्ग के लोग या... Hindi · लघु कथा 491 Share अवधेश कुमार राय 1 Apr 2017 · 1 min read भुला दो बहुत चाह हैं, भुला दो. मेरे दिल को तुम दुःखा दो. मेरे एतबार की मचलता हुई एहसास हो. मुझे तुम यूँही भुला दो. ये दिल है, ना कोई जिरह की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 549 Share अवधेश कुमार राय 31 Mar 2017 · 1 min read रेहनुमा मेरी पिर तुझें क्यों दिखाई नहीं देती. मेरी हसरतो की खीझ तुझे सुनाई नहीं देती. मौला ना रहा मेरे पिर का अब वो. ये रेहनुमा तुझे इस कायनात में दिखाई... Hindi · कविता 438 Share अवधेश कुमार राय 12 Mar 2017 · 1 min read सजनी डुबते सुरज की इस घड़ी में. गोरी ! किस व्यथा के संग. फिर आयेंगे बालम तेरे. फिर जागेगी दिल में मृदुल उमंग. शहरी भिड़ की आपा - धापी. दिल नाहीं... Hindi · कविता 510 Share अवधेश कुमार राय 12 Feb 2017 · 1 min read सनम कोई खता हो सनम तो केह दो. मेरी तमन्ना को रख दो. बाकौल हो रही मेरी आरजु से जुस्तजू. अपनी दिल की गहराईयों को कह दो. उड़ चल तेरे इश्क... Hindi · कविता 262 Share अवधेश कुमार राय 7 Feb 2017 · 1 min read दिल दिल को थामे रखा हैं. यादों को अंशुमन के धागे में बांधे रखा हैं. कोई जजीरा गिरफ्तार ना हो हुश्न में. दिल को कागज पर टिकाये रखा हैं. मेरी महबूब... Hindi · कविता 423 Share अवधेश कुमार राय 6 Feb 2017 · 1 min read मिट्टी मेरे गांव की मौज रही गलिया चौबारे. वो धुल सनी कच्ची राहे. हवाओं के संग सरसों गाए. खेतो में सारंगी सरपत बजाए. मौज रही गलिया चौबारे. नहरों में पानी छलका जाए. टुटी फुटी... Hindi · कविता 692 Share अवधेश कुमार राय 4 Feb 2017 · 1 min read शिकवा भुला दो मेरे महबूब. जो गम के सैलाब उठे हो दिल में. खत्म कर पनाह. जो इनकार किये दिल ने. मैं मौजू हो उठा दिल के. यह दर्द की सिला.... Hindi · कविता 267 Share अवधेश कुमार राय 1 Feb 2017 · 1 min read मन का घोषला मन मोर नहीं बस मन मे मोरे. उङत बहत पनघट पर तोरे. रची सजी मुरत तोरी. कहाँ जाई तोहे छोङ के गोरी. हृदयाघात भए मन मंदिर में. मन की घोषला... Hindi · कविता 394 Share अवधेश कुमार राय 31 Jan 2017 · 1 min read नई मुक्तक दिल पर जमी दर्द का एहसास हो गया. मुझे मेरी इश्क का विश्वास हो गया. जो बनाए हो दायरे मोहब्बत की तुमने. उस पर उम्र तुम्हारी खिलाफ़ हो गया. यह... Hindi · मुक्तक 261 Share अवधेश कुमार राय 30 Jan 2017 · 1 min read अबकी बसंत आई बसंत की बेला. नभ उपवन में छाई मेला. अमीया पर मंजर ले लाई. पपीहा संग मधुर पवन बहाई. रोम - रोम पुलकित हो जाती. सरसों की बाली जब लहराती.... Hindi · कविता 471 Share अवधेश कुमार राय 30 Jan 2017 · 1 min read घर से दुर से़ाचा कुछ दिन गांव चलु. घर से दुर आराम करु. खेतों की पगडंडी पर. बाबा की उस मिट्टी पर. सपनों का दिदार करु. सोचा कुछ दिन गाँव चलु. यह शहर... Hindi · कविता 305 Share अवधेश कुमार राय 29 Jan 2017 · 1 min read तुम वहीं हो जो तुम दिल की बात कर रहे हो. मेरी हसरतों को गुलजार कर रहे हो. मुझ से जुङी तेरी मोहब्बत की इनायत. तुम वही हो जो बदनाम कर रहे हो.... Hindi · कविता 205 Share अवधेश कुमार राय 29 Jan 2017 · 2 min read पलायन आज के भारत में रोजगार की तलाश में पलायन आम बात हैं, चाहे वो पढ़ा लिखा अभिजात्य वर्ग का हो या अनपढ़ गरीब नागरिक | गाँव से शहर कि ओर... Hindi · लेख 1 643 Share अवधेश कुमार राय 28 Jan 2017 · 2 min read रिश्तो की विडंबना कभी - कभी इंसान अपनी महत्वआकांक्षाओं में इतना लिन हो जाता हैं, उसे समाज, घर, देश, की परवाह नही होती | रिश्ते ताने - बाने का वह गला घोट देता... Hindi · लघु कथा 333 Share अवधेश कुमार राय 28 Jan 2017 · 1 min read कफ़न चमन खिला रहा हुं, बहारों में अमन खिला रहा हुं. कोई मुद्दत नहीं मेरी महबूब . मैं तो कफन सिला रहा हुं. गौर करना मुझको वतन. तेरे सजदे मे जान... Hindi · कविता 283 Share