शाम – ए- दिल्ली
अजब सी कैफियत में दिल लिए घुम रहा दिल्ली.
शहरी हलचल की तस्ववुर में झुम रही दिल्ली.
बैचेन सभी हसीन चेहरे शौख -ए- नजर.
कितनी गुमानियत में फिर रही दास्ताख -ए-डेल्ही.
जरा आंखो को दे गुमशुदगी का तौहफा.
दिल यूं ही तलाश रही पहचान मेरी दिल्ली.
#अवध