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2 Feb 2018 · 1 min read

मुक्तक

ये मेरी पंक्तियां तुम्हें पुकारती है.
हर दिन सिर्फ़ तु याद आती है.
बहोत बहलाया हमनें अपनी तजुर्बे से इसे.
मगर दिल नादान कहाँ समझ पाया है।

अवधेश कुमार राय “अवध”
02/02/18

Language: Hindi
401 Views
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