शिकवा
भुला दो मेरे महबूब.
जो गम के सैलाब उठे हो दिल में.
खत्म कर पनाह.
जो इनकार किये दिल ने.
मैं मौजू हो उठा दिल के.
यह दर्द की सिला.
घुलने लगे मेरे दिल में.
क्यो रुक गई झंकार तेरी पायल
जो इनकार किये दिल ने.
मैं मौजू हो उठा दिल के.
अवधेश कुमार राय….