मन का घोषला
मन मोर नहीं बस मन मे मोरे.
उङत बहत पनघट पर तोरे.
रची सजी मुरत तोरी.
कहाँ जाई तोहे छोङ के गोरी.
हृदयाघात भए मन मंदिर में.
मन की घोषला की रस्सी में.
कई कौतूहल कई विरासत.
कहाँ जाई तोहे छोङ के गोरी.
अबकी बसंत निरस सी लिप्टी.
नाहीं गुलाब गुलाल रंगी.
मन मोही तोहार रुप सलोनी.
कहाँ जाई तोहे छोङ के गोरी.
अवधेश कुमार राय..