डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 207 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 17 Dec 2025 · 1 min read औरतें अजीब होती हैं *औरतें अजीब होती हैं* औरतें अजीब होती हैं, क्योंकि वे हँसते हुए भी भीतर से रो सकती हैं, और रोते-रोते भी घर को सँभाल लेती हैं। उनकी खामोशी शोर नहीं... Hindi · कविता 2 83 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 17 Dec 2025 · 3 min read लेख: "कृष्ण का प्रेम और कर्म" *कृष्ण का प्रेम और कर्म* कृष्ण एक जीवन-दर्शन: भगवान श्रीकृष्ण किसी एक काल, ग्रंथ या मंदिर तक सीमित सत्ता नहीं हैं। वे चेतना की वह अवस्था हैं जहाँ मनुष्य, जीवन... Hindi · लेख 1 14 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 17 Dec 2025 · 2 min read लेख:"शिव–पार्वती का कैलाश पर एकांत निवास : दांपत्य का गहन दर्शन" *शिव–पार्वती का कैलाश पर एकांत निवास : दांपत्य का गहन दर्शन* भारतीय संस्कृति में शिव और पार्वती केवल देव-युगल नहीं हैं, बल्कि वे दांपत्य जीवन के एक गहन, संतुलित और... Hindi · लेख 1 33 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 16 Dec 2025 · 1 min read तेरे होने से ही मुकम्मल हूँ मैं, तेरे होने से ही मुकम्मल हूँ मैं, वरना भीड़ में भी तन्हा थी ज़िंदगी। ©® डा० निधि श्रीवास्तव "सरोद" Quote Writer 16 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 15 Dec 2025 · 1 min read "थोड़ा भ्रम भी ज़रूरी होता है" *"थोड़ा भ्रम भी ज़रूरी होता है"* घना कोहरा उतरा है जैसे धरती ने आसमान की चादर ओढ़ ली हो। दूरियाँ सिमट आई हैं, रास्ते अपने ही क़दमों से परिचय पूछते... Hindi · कविता 1 18 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 12 Dec 2025 · 1 min read "आसमान के परों को, और फैलाना है मुझे" टूटकर भी मैं सँवरूँ, ये हुनर आया मुझे, अब हवाओं से नहीं, खुद रास्ता बनाना है मुझे। सफर से डरकर कभी, मंज़िलें पायी नहीं जातीं, धूप में चलकर ही तो,... Hindi · कविता 1 52 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 12 Dec 2025 · 1 min read *जीवन की दो पंक्ति मिलकर लिखेंगे* जीवन की दो पंक्ति मिलकर लिखेंगे, एक में मेरी धूप होगी, दूसरी में तुम्हारी छाँव। जीवन की दो पंक्ति मिलकर लिखेंगे, मैं सपनों का अर्थ बनूंगी, तुम उन अर्थों का... Hindi · कविता 1 32 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Dec 2025 · 2 min read *लेख:- "शिव: सहजता, पवित्रता और भोलापन का अद्वितीय प्रतीक"* *"शिव: सहजता, पवित्रता और भोलापन का अद्वितीय प्रतीक"* भारतीय अध्यात्म में शिव केवल एक देवता नहीं, बल्कि एक अनुभूति हैं,एक ऐसी उपस्थिति जो जीवन के सबसे सरल, सबसे पवित्र और... Hindi · लेख 1 38 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Dec 2025 · 3 min read *लेख: "दुःख को ख़त्म मत करो , उसे सम्मान दो"* *दुःख को ख़त्म मत करो , उसे सम्मान दो* दुख को स्वीकार करो, उसे अपनी कहानी का अध्याय बनने दो। मनुष्य का स्वभाव है कि वह सुख को पकड़कर रखना... Hindi · लेख 2 161 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 26 Nov 2025 · 1 min read "न भूले से बोलो कुछ, बस चुपके चुपके तुम मुस्काओ, "न भूले से बोलो कुछ, बस चुपके चुपके तुम मुस्काओ, जिस क्षण चंद्र-किरण बनकर तुम नयनों में उतर जाओ।" ©®_"सरोद" _ Quote Writer 1 57 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 21 Nov 2025 · 1 min read ऐ चांद, तेरा दीदार भी सुकून देता है, ऐ चांद, तेरा दीदार भी सुकून देता है, थका मन जैसे फिर उड़ना चाहता है, तेरी चांदनी हर दर्द को बहा ले जाती है, और ये रात मुझे अपने दामन... Quote Writer 1 50 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 21 Nov 2025 · 3 min read *लेख:- "पार्थ : चेतना और कर्म का संवाद"* पार्थ या पृथ्वी-पुत्र का आध्यात्मिक अर्थ मनुष्य की आत्म-यात्रा का दार्शनिक दृष्टिकोण है 'पार्थ' अर्जुन का नाम, इसे पृथ्वी-पुत्र के रूप में देखा जाए, तो यह शब्द अपने भीतर एक... Hindi · लेख 1 89 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 20 Nov 2025 · 1 min read *"शक्ति तुम्हारी बन जाऊंगी"* जब घिर जाओगे मन के भारी, धुँधले अंधेरे मे, मैं बनकर उजली सरगम सी संग तुम्हारे सदा रहूंगी। जब जीवन के राहों पर अनगिन पत्थर, और चुभन हो, मैं बनकर... Hindi · कविता 1 72 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 5 Nov 2025 · 1 min read "जब प्रेम ही वैराग्य है" *"जब प्रेम ही वैराग्य है"* क्यों विरह के गीत लिखूँ, जब प्रेम ही तो वैराग्य है , जहाँ मिलन में भी मौन गूँजे, और बिछोह भी अनुराग है। क्यों आँसुओं... Hindi · कविता 2 2 140 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 31 Oct 2025 · 1 min read *चाय और चांद* *चाय और चांद* सब सो गए, सन्नाटा जाग उठा, दिल बोला, थोड़ी चाय बना ले न, कुछ तो होगा। चाँद मुस्कुराया, बोला, मैं भी यहीं हूँ पास, रात ने दोनों... Quote Writer 1 66 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 30 Oct 2025 · 2 min read *लघुकथा:"सहारे का स्पर्श"* *"सहारे का स्पर्श"* मीरा हमेशा से आत्मनिर्भर स्वभाव की थी। कॉलेज से निकलते ही उसने नौकरी शुरू कर दी थी। शादी के बाद भी उसने अपनी पहचान को कभी मिटने... Hindi · लघु कथा 1 71 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 29 Oct 2025 · 3 min read *लघुकथा:"झील के उस पार"* *"झील के उस पार"* नीले पहाड़ों की श्रृंखलाएँ जैसे आकाश की गोद में सोई हुई थीं। सुबह की धुंध उन पर ओढ़नी की तरह बिछी थी। हर दिन की तरह... Hindi · लघु कथा 1 159 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 26 Oct 2025 · 1 min read कहीं ख़ुशबू, कहीं झोंका हवा का लगा, कहीं ख़ुशबू, कहीं झोंका हवा का लगा, तेरा एहसास हर मौसम में नया सा लगा, छू गया जब भी कोई सन्नाटा हल्के से, दिल को फिर तेरे नाम का पता... Quote Writer 1 50 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 26 Oct 2025 · 1 min read तूफ़ानों से लड़कर भी मुस्कुराना सीख लिया, तूफ़ानों से लड़कर भी मुस्कुराना सीख लिया, अँधेरों में चिराग़ बनके जगमगाना सीख लिया, हक़ीक़तों ने कई बार तोड़ा हौसला मेरा, मगर सपनों से फिर से मैने उड़ना सीख लिया।... Quote Writer 1 58 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 7 Oct 2025 · 1 min read *"स्वयं से मुलाकात"* *"स्वयं से मुलाकात"* कभी यूँ ही थम गए कदम, जब सब था पास, पर कुछ कमी थी, एक शून्य था भीतर कहीं, जो बोलता नहीं था, पर सुनाई देता था।... Hindi · कविता 1 77 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Sep 2025 · 1 min read महके हुए ख्वाब मेरे सिरहाने कोई खुशबू बिखर गई कुछ ख्वाब जो महके हुए रात आए थे। चुपके से उन यादों ने हाथ थाम लिया, सांसों में धीरे‑धीरे रंग समा गए थे। तारों... Hindi · कविता 1 75 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 21 Aug 2025 · 1 min read *"शाश्वत प्रेम"* मुरली की तान में जैसे, छुपा हो राधा का मन, हर स्वर में झरता रहता है अनकहा सा कोई स्पंदन। मोहन की आँखों में बसी बरसों की प्यास अधूरी, राधा... Hindi · कविता 1 127 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 13 Aug 2025 · 1 min read *अनंत समर्पण* मैं अपरिमित स्नेह देने को, हूँ समर्पित भावों को समेटे, मानस-सरिता की निर्मल धार में, विचरते स्वप्नों को सहलाए। हर स्पंदन में अनुराग की दीपशिखा, हर दृष्टि में करुणा का... Hindi · कविता 1 92 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 9 Aug 2025 · 1 min read "सत्य और मिथ्या" *"सत्य और मिथ्या"* एक रोज़ सत्य मिला मिथ्या से राह में, बैठ गए दोनों समय की एक छाँह में। सत्य बोला, "मैं निर्वस्त्र चलता हूँ, पर डरता नहीं, हर आँख... Hindi · कविता 1 75 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 2 Aug 2025 · 1 min read उनीदी आंखो में भी ख्वाब दिखाई देता है उनीदी आंखो में भी ख्वाब दिखाई देता है हर शख्स यहां बेहद उदास दिखाई देता है कुछ अरमानों के नश्तर चुभ जाते है कोई महफिल की भीड़ में भी गुमनाम... Quote Writer 1 67 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 2 Aug 2025 · 1 min read *"प्रथम मिलन"* *"प्रथम मिलन"* जब तुम मिले प्रथम बार , जैसे जागी हो सूनी साँझ, निशब्द हवा ने कुछ बोला, और खिले नयनों में अनुराग। वन-पथ की उस मौन छाया में, तुम... Hindi · कविता 1 112 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 1 Aug 2025 · 3 min read *लेख:"रहस्यमयी शिव और योगी शिव"* *"रहस्यमयी शिव और योगी शिव"* रहस्यमयी शिव और योगी शिव दो अलग-अलग लेकिन परस्पर जुड़े हुए रूप हैं, जो शिव के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। रहस्यमयी शिव और योगी... Hindi · लेख 2 1 545 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 27 Jul 2025 · 1 min read बालों में पुष्प लगाए, बालों में पुष्प लगाए, नैनन में कजरा डाल, सावन में गीत सोहाय, कोई न जाने मेरा हाल। ©® डा० निधि श्रीवास्तव "सरोद" Quote Writer 1 126 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 21 Jul 2025 · 3 min read *लेख:"ज़िंदगी का अर्थ समझो: खुद को व्यर्थ मत होने दो"* *ज़िंदगी का अर्थ समझो: खुद को व्यर्थ मत होने दो* "कुछ भी व्यर्थ गंवाना, किंतु कभी भी खुद की ज़िंदगी व्यर्थ न गंवाना।" ये शब्द हमें जीवन की उस सच्चाई... Hindi · लेख 1 115 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 16 Jul 2025 · 1 min read "खुल कर मिलिए इनसे" "खुल कर मिलिए इनसे" खुल कर मिलिए इनसे, बहुत दूर से आई हैं बरखा रानी। बादल की सवारी कर के, लेकर आई हैं ठंडी कहानी। मन के सूने कोनों में... Hindi · कविता 1 74 Share Page 1 Next