मुक्तक
यूँ चुप रहना ठीक नहीं कोई मीठी बात करो
मोर चकोर पपीहा कोयल सब को मात करो
सावन तो मन बगिया से बिन बरसे बीत गया
रस में डूबे नग़्मे की अब तुम ही बरसात करो ।
यूँ चुप रहना ठीक नहीं कोई मीठी बात करो
मोर चकोर पपीहा कोयल सब को मात करो
सावन तो मन बगिया से बिन बरसे बीत गया
रस में डूबे नग़्मे की अब तुम ही बरसात करो ।