मुक्तक
ज़रूरत नाव की,पतवार की है ही नहीं उसको
निभानी है जिसे लहरों से यारी, तैर जाता है,
बताते हैं कि भवसागर में दौलत की नहीं चलती
वहाँ रह जाते हैं राजा भिखारी तैर जाता है।
ज़रूरत नाव की,पतवार की है ही नहीं उसको
निभानी है जिसे लहरों से यारी, तैर जाता है,
बताते हैं कि भवसागर में दौलत की नहीं चलती
वहाँ रह जाते हैं राजा भिखारी तैर जाता है।