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16 Oct 2022 · 1 min read

*दुराचारी का अक्सर अंत, अपने आप होता है (मुक्तक)*

दुराचारी का अक्सर अंत, अपने आप होता है (मुक्तक)
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किसी कमजोर के दिल को, दुखाना पाप होता है
निकलती आह निर्बल की, समझ लो शाप होता है
चला करती है देने दंड, लाठी ईश की जब भी
दुराचारी का अक्सर अंत, अपने आप होता है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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