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19 Aug 2018 · 1 min read

शून्य

शून्य रिक्त होता मगर,है अनंत के तुल्य ।
जुड़ता जिसके साथ है, बढ़ता उसका मूल्य।। १

छुपा शून्य में ज्ञान का, बहुत बड़ा भंडार।
अनंत-अपरिमीत रहा, निरूपित निराकार।। २

होता बिल्कुल ही नहीं, शून्य का ओर-छोर।
शुरूआत कर शून्य से, चल अनंत की ओर।। ३

इक अजीब सा सुख यहाँ, करता भाव विभोर।
इक अनोखी दुनिया चले, पकड़ शून्य की डोर।। ४
-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
1 Like · 305 Views
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