मुक्तक
किताबे-शौक़ में बहुत सी निशानियाँ रखे,
कहीं पे फूल, कहीं हम तितलियाँ रखे ,
कभी मिलेंगी जो तनहाइयाँ तो पढ़ लेंगे,
ये सोचा छुपाके कुछ कहानियाँ रखे।
किताबे-शौक़ में बहुत सी निशानियाँ रखे,
कहीं पे फूल, कहीं हम तितलियाँ रखे ,
कभी मिलेंगी जो तनहाइयाँ तो पढ़ लेंगे,
ये सोचा छुपाके कुछ कहानियाँ रखे।