मुक्तक
प्यार सिखाने वाले बस ये मजहब के स्कूल गए,
इस दुर्घटना में हम अपना देश बनाना भूल गए,
कहीं बमों की गर्म हवा है और कहीं त्रिशूल जले,
सांझ चिरैया सूली टंग गयी पंछी गाना भूल चले।
प्यार सिखाने वाले बस ये मजहब के स्कूल गए,
इस दुर्घटना में हम अपना देश बनाना भूल गए,
कहीं बमों की गर्म हवा है और कहीं त्रिशूल जले,
सांझ चिरैया सूली टंग गयी पंछी गाना भूल चले।