मुक्तक
हाथ में आया जो दामन दोस्ती का,
हो गया जारी सफ़र फिर रोशनी का,
चल पड़े, कल तक जो ठहरे थे क़दम,
रास्ता फिर मिल गया है ज़िन्दगी का।
हाथ में आया जो दामन दोस्ती का,
हो गया जारी सफ़र फिर रोशनी का,
चल पड़े, कल तक जो ठहरे थे क़दम,
रास्ता फिर मिल गया है ज़िन्दगी का।