Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2024 · 1 min read

इंकलाब की मशाल

मशालें उठ
चुकी हैं अब
मशालें जल
चुकी हैं अब…
(१)
अंधेरों को
ख़बर कर दो
मशालें चल
चुकी हैं अब…
(२)
तूफानों से
लड़ने को
मशालें तुल
चुकी हैं अब…
(३)
इसका अंज़ाम
क्या होगा
मशालें भूल
चुकी हैं अब…
(४)
वक़्त और
हालात में
मशालें ढल
चुकी हैं अब…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#सत्ता_परिवर्तन #बदलाव
#व्यवस्था_परिवर्तन #हक
#चुनाव_जनता_लड़_रही_है
#अधिकार #इंसाफ #सच
#चुनाव #मतदान #राजनीति

Language: Hindi
Tag: गीत
86 Views

You may also like these posts

" निकम्मे "
Dr. Kishan tandon kranti
समय
समय
Dr. Pradeep Kumar Sharma
नारी
नारी
अनिल "आदर्श"
श
Vipin Jain
लम्बे सफ़र पर चलते-चलते ना जाने...
लम्बे सफ़र पर चलते-चलते ना जाने...
Ajit Kumar "Karn"
In Love, Every Pain Dissolves
In Love, Every Pain Dissolves
Dhananjay Kumar
खिला तो है कमल ,
खिला तो है कमल ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
श्रेय एवं प्रेय मार्ग
श्रेय एवं प्रेय मार्ग
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
4012.💐 *पूर्णिका* 💐
4012.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अधिकतर महिलायें
अधिकतर महिलायें
लक्ष्मी सिंह
झूलें नंदकिशोर
झूलें नंदकिशोर
RAMESH SHARMA
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
तन को सुंदर ना कर मन को सुंदर कर ले 【Bhajan】
तन को सुंदर ना कर मन को सुंदर कर ले 【Bhajan】
Khaimsingh Saini
गीत
गीत
Jai Prakash Srivastav
🥀 *✍अज्ञानी की*🥀
🥀 *✍अज्ञानी की*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
उस बाग का फूल ज़रूर बन जाना,
उस बाग का फूल ज़रूर बन जाना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रीत पुराणी
प्रीत पुराणी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ये ताकत जो बक्सी तुझे कुदरत ने , नशे में न झोंको उबर जाओ भाई
ये ताकत जो बक्सी तुझे कुदरत ने , नशे में न झोंको उबर जाओ भाई
Vijay kumar Pandey
शीर्षक -बच्चों का संसार पिता!
शीर्षक -बच्चों का संसार पिता!
Sushma Singh
जिस से रिश्ता निभाता रहा उम्रभर
जिस से रिश्ता निभाता रहा उम्रभर
Johnny Ahmed 'क़ैस'
रूप मधुर ऋतुराज का, अंग माधवी - गंध।
रूप मधुर ऋतुराज का, अंग माधवी - गंध।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं*
*प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
क्रोध
क्रोध
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
निकलो…
निकलो…
Rekha Drolia
प्रजा शक्ति
प्रजा शक्ति
Shashi Mahajan
लघुकथा - दायित्व
लघुकथा - दायित्व
अशोक कुमार ढोरिया
रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी,
रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी,
पूर्वार्थ
सुरभित - मुखरित पर्यावरण
सुरभित - मुखरित पर्यावरण
संजय कुमार संजू
सर्दी और चाय का रिश्ता है पुराना,
सर्दी और चाय का रिश्ता है पुराना,
Shutisha Rajput
चलिए देखेंगे सपने समय देखकर
चलिए देखेंगे सपने समय देखकर
दीपक झा रुद्रा
Loading...