मुक्तक
” तट पे जो आया है तो गहरे में उतर देख,
दरिया को खंगाले बिना गौहर न मिलेगा,
दर-दर यूँ भटकता है जिसके लिए तू,
घर में ही उसे ढूंढ वो बाहर न मिलेगा “
” तट पे जो आया है तो गहरे में उतर देख,
दरिया को खंगाले बिना गौहर न मिलेगा,
दर-दर यूँ भटकता है जिसके लिए तू,
घर में ही उसे ढूंढ वो बाहर न मिलेगा “