मुक्तक
कभी भरा हो दर्द से दिल तब भी मुसकाना पड़ता है,
काँटों को भी कुसुम बता मन को समझाना पड़ता है,
क़िस्मत का है खेल कहीं तो सुधापान भी न करते ,
और कहीं विष पीने को भी मज़बूरन जाना पड़ता है।
कभी भरा हो दर्द से दिल तब भी मुसकाना पड़ता है,
काँटों को भी कुसुम बता मन को समझाना पड़ता है,
क़िस्मत का है खेल कहीं तो सुधापान भी न करते ,
और कहीं विष पीने को भी मज़बूरन जाना पड़ता है।