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30 Jul 2018 · 1 min read

कोई यहाँ कबीर

समझेगा जबतक नहीं, दिल यह गहरी पीर !
तब तक मुश्किल है बने,…कोई यहाँ कबीर !!

कहीं फाड़कर बदलियाँ, कहीं थोपकर बाढ़ !
जाते जाते दे गया,… …कितने घाव अषाढ !!
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
1 Like · 527 Views
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