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19 Aug 2024 · 1 min read

विदाई गीत

विदाई गीत
——–

इक दिन ऐसा भी आएगा
साथ न देंगे तेरे अपने
तन मन से फिर घायल होगा
कांच कांच से टूटे सपने।

संन्यासी जब सांसें हों जा
भंग तपस्या प्यासी हो जा
तब पूनम की रात अभागी
आएगी फिर तुझको लेने
ना ही चादर ना सिरहाना
टूटी खटिया, पिंड बिछौना
बांस बांस पर सजे तपने
कांच कांच से टूटे सपने

कुछ दिन आंसू ये ठहरेंगे
फिर सूखेंगे औ हंसेंगे
कहां जमा है पैसा कितना
किस खाते में कितना अपना
क्या छोड़ा है, यह बताओ
जल्दी जल्दी नाम बताओ
हद से बाहर निकले अपने
कांच कांच से टूटे सपने।।

सब निरुत्तर प्रश्न खड़े हैं
बांधे मुठ्ठी प्रश्न अड़े हैं
गरुड़ कह रहे अपनी गाथा
ये ये पाप, फूटा माथा
वैतरणी के पार चले हम
मिट्टी, सोना, साथ चले गम
क्या गंगा क्या तर्पण अपने
कांच कांच से टूटे सपने।।

सूर्यकांत

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 79 Views
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