” समझना होगा “
“मंदिर, मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारे में जिसको ढूंढ रहे, हैं,
अल्लाह,ईश्वर,प्रभु,गुरु सब दिल में है हम भूल रहे हैं,
कस्तूरी पाने को मृग जैसे वन-वन विचरण करता है,
मानव भी अज्ञानता वश ,प्रभु दर्शन को दर-दर भागा फिरता है,
रब का सबसे प्यारा घर निर्मल हृदय हमारा है,
पूजा है सत्कर्म हमारे,भोग प्रेम की धारा है,
लगी कतारें लंबी लंबी जिस मूरत पर भोग चढाने को,
वही सीढ़ियों पर भूखा बैठा जीवित रूप में भोजन पाने को,हर जीव प्रकृति की सुन्दर रचना, हम सबका सम्मान करें,अल्लाह,ईश्वर सब खुश होंगे, गर मानवता का मान करें,मानव धर्म ही धर्म एक है मोक्ष मार्ग तक जाने का,सत्कर्म ही दर्पण हैं प्रभु के दर्शन पाने का,
जरूरतमंदों की सेवा कर जीवन का उद्धार करो,जाति धर्म में ना खुद को बांटो एक दूजे से प्यार करो,
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई परमात्मा की संतानें हैं,
सच है एक है मालिक सबका बाकी झूठे अफ़साने हैं,
अलग-अलग है धर्म हमें जो धर्मगुरु समझाते हैं,
मोह माया का त्याग करो जो प्रवचन हमें सुनाते हैं,
उस प्रवचन के एवज में वो लाखों रुपये ले जाते हैं,
आस्था का भ्रम फैलाकर,कुछ धर्म के ठेकेदार बने,
श्रद्धा का मोल लगा बैठे,हम सबको पथ से भटका बैठे भावनाओं की शाख़ो फलते-फूलते इनके व्यापार बने,
अब सोचो क्या गलत,सही क्या,कुछ तो इसका निदान करो,इंसान हो तुम इंसान रहो, बेहतर हो ना भगवान बनो,अंधविश्वास के जाल से निकलो, मन में प्रभु का ध्यान करो,राष्ट्र प्रगति की धारा में अपना भी योगदान करो”