आँखें
“कभी शोले सी दहकती हैं,कभी तूफान है आँखें.
सुना है की सच झूठ की पहचान है आँखें,
क्या दस्तूर है दुनिया का आँखों की नजाकत से.
ये आंखें झुकी तो हया बन गई, झुक के उठी तो,खता बन गईं, उठ के झुकीं तो, अदा बन गईं,
जब यह खुली तो दुनिया ने रुलाया, बंद होते ही दुनिया को रुला गई,
खूबसूरत सा रिश्ता निभाती है आँखें, साथ खुलती और बंद हो जाती है आँखें, ता उम्र ना होता इक दूजे का सामना, फिर भी वफा निभाती है आँखें,
आप भी कर लो आँखों की मोहब्बत पर यकीन,
आँखें ही दिल की जुबान होती है,
यह एहसासे मोहब्बत लबों से नहीं, आँखों से सनम के बयां होती है,
दिल के जख्म महफिले इश्क में ना इजहार करती है आँखें , साँस थमने पर भी खुली रहकर सनम का इंतजार करती है आँखें.”