Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Apr 2018 · 1 min read

महानगरीय जीवन

महानगर में गुमशुदा, है मेरी पहचान।
हिस्सा हूँ बस भीड़ का, हर कोई अनजान।।

घर से बेधर हो गई, दो रोटी की चाह।
जंगल मानव का यहाँ, अंजानी-सी राह।।

भीड़ भरी शहरी सड़क, सभी चीज गतिमान।
शोर प्रदूषण है बहुत, सूख गई है जान।।

महानगर बिखरा हुआ, तन्हा हर इंसान।
मकान का नंबर बना, बस अपनी पहचान।।

है मशीन-सी जिन्दगी ,मिले नहीं आराम।
सुबह सूर्य थकता यहाँ, बदमिजाज-सी शाम।।

शोर-शराबे में दबी, खुद अपनी अावाज।
महानगर में गंदगी, धुन्ध-धुआँ का राज।।

महानगर में तेज है, जीवन की रफ़्तार।
चका-चौंध में हैं दफन, रिश्ते-नाते प्यार।।

शुद्ध हवा पानी नहीं, दम-घोटू माहौल।
पहनावे को देख कर, जाती आत्मा खौल।।

महानगर में हो रहा, पश्चिम का अवतार।
होती गरिमा प्रेम की, यहाँ देह विस्तार।।

रोने वाला भी नहीं, पत्थर जैसे लोग।
हँसना रोना भूलकर, देखें केवल भोग।।

शहरों में बीमार – सी, लगती सूर्य प्रकाश।
यहाँ प्राकृतिक नाम पर, बचा सिर्फ आकाश।।

दया-धर्म ममता नहीं, बढ़ी मार-अरु-काट।
मानव जीवन मूल्य की, लगी हुई है हाट।।

गर्म हवाओं का सभी, पहने हुए लिबास।
महानगर में लोग का, मरा हुआ अहसास।।

सहज खींच लाती यहाँ, भौतिक सुख की खोज।
आपा-धापी हर तरफ, लगी हुई है रोज।।

महानगर कहते जिसे, होता नहीं महान।
इमारतें ऊँची मगर, निम्न कोटि इंसान।।

महानगर के द्वार पर, लिखा एक संदेश।
आने वालों छोड़ दो, मानवता का वेश।।

महानगर को देखकर, मन हो गया उचाट।
लौट चले फिर गांव में, देख रही है बाट।।
– लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
1314 Views
Books from लक्ष्मी सिंह
View all

You may also like these posts

यूं आंखों से ओझल हो चली हो,
यूं आंखों से ओझल हो चली हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दर्द
दर्द
ललकार भारद्वाज
गाँव में फिर
गाँव में फिर
Arun Prasad
मुंह पर शहद और पीठ पर खंजर
मुंह पर शहद और पीठ पर खंजर
Rekha khichi
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-150 से चुने हुए श्रेष्ठ 11 दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-150 से चुने हुए श्रेष्ठ 11 दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ऑन लाइन पेमेंट
ऑन लाइन पेमेंट
Satish Srijan
खो गए वो दिन पुराने
खो गए वो दिन पुराने
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
परदेसी की  याद  में, प्रीति निहारे द्वार ।
परदेसी की याद में, प्रीति निहारे द्वार ।
sushil sarna
Leading Pigment Distributors in India | Quality Pigments for Every Industry
Leading Pigment Distributors in India | Quality Pigments for Every Industry
Bansaltrading Company
सुन सुन कर बोल
सुन सुन कर बोल
Baldev Chauhan
सविनय निवेदन
सविनय निवेदन
कृष्णकांत गुर्जर
THE FLY (LIMERICK)
THE FLY (LIMERICK)
SURYA PRAKASH SHARMA
करते रहो सुकर्म को सोचो न फल कभी
करते रहो सुकर्म को सोचो न फल कभी
Dr Archana Gupta
नारी हो कमज़ोर नहीं
नारी हो कमज़ोर नहीं
Sonam Puneet Dubey
Life is like party. You invite a lot of people. Some leave e
Life is like party. You invite a lot of people. Some leave e
Ritesh Deo
शिव आराधना
शिव आराधना
Kumud Srivastava
"धुएँ में जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
नवसंकल्प
नवसंकल्प
Shyam Sundar Subramanian
प्राण प्रतिष्ठा और दुष्ट आत्माएं
प्राण प्रतिष्ठा और दुष्ट आत्माएं
Sudhir srivastava
*शुभ स्वतंत्रता दिवस हमारा (बाल कविता)*
*शुभ स्वतंत्रता दिवस हमारा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Let us create bridges to connect people beyond boundaries,
Let us create bridges to connect people beyond boundaries,
Chitra Bisht
अभिव्यञ्जित तथ्य विशेष नहीं।।
अभिव्यञ्जित तथ्य विशेष नहीं।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
खरगोश
खरगोश
SHAMA PARVEEN
मृदुभाषी व्यक्ति मीठे अपने बोल से
मृदुभाषी व्यक्ति मीठे अपने बोल से
Ajit Kumar "Karn"
छूट रहा है।
छूट रहा है।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
गांव
गांव
Shriyansh Gupta
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
Dr MusafiR BaithA
बीज निरर्थक रोप मत ! , कविता में संस्कार।
बीज निरर्थक रोप मत ! , कविता में संस्कार।
RAMESH SHARMA
अगर हो अंदर हौसला तो पूरा हर एक काम होता है।
अगर हो अंदर हौसला तो पूरा हर एक काम होता है।
Rj Anand Prajapati
हम सब मिलकर, ऐसे यह दिवाली मनाये
हम सब मिलकर, ऐसे यह दिवाली मनाये
gurudeenverma198
Loading...