Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2017 · 2 min read

मेरी खातिर……………….. जैसी घरवाली |गीत| “मनोज कुमार”

मेरी खातिर कर देती है, इच्छाओं की क़ुरबानी
जान से ज्यादा मुझको प्रिय, जन्नत जैसी घरवाली

मेरी खातिर……………………………………………………… जैसी घरवाली

कभी जो गुस्सा करती है तो, उसमें भी है प्यार भरा
होती ही तकरार कभी तो, उसमें भी है प्यार छुपा
मैं चिढ़ाता रहता हूँ, दानिश्ता बातों बातों मैं
जब तक उसको ना सताऊँ, ना मजा है बातों मैं
मुँह बनाकर टेढ़ा मेढ़ा, कह देता पहले सोरी
वो हँस जाती रोते रोते, मीठी सी झप्पी देती

मेरी खातिर……………………………………………………… जैसी घरवाली

ननद देवर को भी पढ़ाया, उनका भार उठाती वो
बेटा बेटी समझ के उनकी, इच्छा पूरी करती वो
मुझे दवा दिला देती है, जमा किये पैसे से वो
तुम खुश हो तो मैं खुश हूँ, इतना कहकर हँस जाती वो
मेरे लिए जगे सारी रात, संग जग के साथ मेरा देती
तुम नही हो बीमार मैं हूँ, ये कह के दिल बहला देती

मेरी खातिर……………………………………………………… जैसी घरवाली

कभी कामना है नही अच्छी, साड़ी और कोस्मेटिक की
गये एक दिन करने शोपिंग, दिल्ली संग मैं दोनों जी
मेरे लिये बच्चे नन देवर, के लिए खरीदा जी
बचे नही फिर पास पैसे, हो इतनी गयी शोपिंग जी
अब बारी थी उनकी ना, डेबिट ना क्रेडिट कार्ड चला
अपने लिये ना कुछ खरीदा, बोली बहुत है शोपिंग जी

मेरी खातिर……………………………………………………… जैसी घरवाली

मैं देख रहा था टूटी पायल, और टूटे झुमकों को जी
जो ना बदले हैं अभी तक, हो गये हैं छः महीने जी
कभी ना बोली अब तक मुझसे, दो इन्हें बदलवा जी
और ना इच्छा डिनर लंच की, बोली घर खुश चहिये जी
अपने बड़ों का आदर करती, छोटों को स्नेह भी
लड़ी ना झगड़ी किसी से हो, शादी को गयी दस साल जी

मेरी खातिर……………………………………………………… जैसी घरवाली

“मनोज कुमार”

Language: Hindi
Tag: गीत
315 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"तुम्हारी याद का कफ़न"
Lokesh Dangi
काल्पनिक अभिलाषाओं में, समय व्यर्थ में चला गया
काल्पनिक अभिलाषाओं में, समय व्यर्थ में चला गया
Er.Navaneet R Shandily
अंत:करण में चाहे जो कुछ भी छुपाते हैं,
अंत:करण में चाहे जो कुछ भी छुपाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
वक्त का ही जग में दौर है ।
वक्त का ही जग में दौर है ।
Rj Anand Prajapati
रिश्ते फीके हो गए
रिश्ते फीके हो गए
पूर्वार्थ
एक ही आसरौ मां
एक ही आसरौ मां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
बदला है
बदला है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
राम–गीत
राम–गीत
Abhishek Soni
निर्धन की  यह झोपड़ी,
निर्धन की यह झोपड़ी,
sushil sarna
अब   बेटियां   भी   हर   दिशा में
अब बेटियां भी हर दिशा में
Paras Nath Jha
चेतन वार्तालाप
चेतन वार्तालाप
Jyoti Pathak
‌ ‌‌‌‌ जन सेवक (13)
‌ ‌‌‌‌ जन सेवक (13)
Mangu singh
3702.💐 *पूर्णिका* 💐
3702.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बादल
बादल
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
ठहरे नहीं हैं, हयात-ए-सफ़र में ।
ठहरे नहीं हैं, हयात-ए-सफ़र में ।
Dr fauzia Naseem shad
"मूल"
Dr. Kishan tandon kranti
33. घरौंदा
33. घरौंदा
Rajeev Dutta
मन को मैं समझा रहा हूँ |
मन को मैं समझा रहा हूँ |
manorath maharaj
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
है भरम कि तेरी दंभलालसा सिंचित करने को चरणो में गिर जाउंगा।
है भरम कि तेरी दंभलालसा सिंचित करने को चरणो में गिर जाउंगा।
शशि "मंजुलाहृदय"
खुश रहें, सकारात्मक रहें, जीवन की उन्नति के लिए रचनात्मक रहे
खुश रहें, सकारात्मक रहें, जीवन की उन्नति के लिए रचनात्मक रहे
PRADYUMNA AROTHIYA
D
D
*प्रणय प्रभात*
मनांतर🙏
मनांतर🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बहू
बहू
Buddha Prakash
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ଆସନ୍ତୁ ଲଢେଇ କରିବା
ଆସନ୍ତୁ ଲଢେଇ କରିବା
Otteri Selvakumar
गुमान
गुमान
Ashwani Kumar Jaiswal
शरारती निगाह में वही हँसी खुमार है।
शरारती निगाह में वही हँसी खुमार है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
तालाब समंदर हो रहा है....
तालाब समंदर हो रहा है....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
चाहत
चाहत
dr rajmati Surana
Loading...