Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Apr 2017 · 1 min read

दहेज एक राक्षस

लघुकथा : दहेज एक राक्षस
दिनेश एल० “जैहिंद”

बिन ब्याही कमला खुद को एकांकी पाकर आज अतीत के गलियारे में गोता लगा रही थी । वह पैंसठवां वसंत पार कर चुकी थी । न चाहते हुए भी वह अपने भयानक अतीत में खो जाती है — “चालीस वर्ष पहले की ही तो बात है । द्वार पर बारात आ चुकी थी । मैं कमरे में सजी-सँवरी सखियों के बीच दुल्हन बनी बैठी थी । दूल्हे राजा, सारे बाराती व सारे नाते-रिश्तेदार द्वार पर इकट्ठे हो चुके थे । द्वार-पूजा की रस्में पूरी होने ही वाली थीं । तभी दहेज के बाकी पैसे की मांग दूल्हे के बाबूजी ने मेरे पिताजी के आगे रख दी । पिताजी के पास अब एक फूटी कौड़ी न बची थी । लाख मनुहार करने के बाद भी वरपक्ष के लोगों ने एक न सुनी । बारात द्वार से फिर गई, पिताजी यह सदमा सह न सके । उसी वक्त उनका प्राणांत हो गया और मेरे ऊपर तो जैसे बिजली ही गिर पडी थी ।”
पच्चीस वर्षीया जवान कमला दहेज के कारण ब्याहते-ब्याहते रह गई और आज वह उम्र के इस पडाव पर अपनी गांठ बाँधी गईं बातें सोचकर रो पडी—“जब राक्षस रूपी दहेज की बलिवेदी पर मेरी जवानी भेंट चढ़ गई तो मैं अब आजीवन कुंवारी ही रहूँगी । कभी भी ब्याह नहीं करूँगी ।”
अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढाकके कमला फफक कर रो पडी ।

==============
दिनेश एल० “जैहिंद”
22. 04. 2017

Language: Hindi
522 Views

You may also like these posts

माँ सरस्वती वंदना
माँ सरस्वती वंदना
Karuna Goswami
अंजाम
अंजाम
Bodhisatva kastooriya
डिफाल्टर
डिफाल्टर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
नफ़रत सहना भी आसान हैं.....⁠♡
नफ़रत सहना भी आसान हैं.....⁠♡
ओसमणी साहू 'ओश'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सिलसिले
सिलसिले
Dr. Kishan tandon kranti
*** लम्हा.....!!! ***
*** लम्हा.....!!! ***
VEDANTA PATEL
विनाश की ओर
विनाश की ओर
साहित्य गौरव
🙏 🌹गुरु चरणों की धूल🌹 🙏
🙏 🌹गुरु चरणों की धूल🌹 🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मौत के बाज़ार में मारा गया मुझे।
मौत के बाज़ार में मारा गया मुझे।
Phool gufran
जिंदगी में मस्त रहना होगा
जिंदगी में मस्त रहना होगा
Neeraj Agarwal
कविता-कूड़ा ठेला
कविता-कूड़ा ठेला
Dr MusafiR BaithA
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
डॉ. दीपक बवेजा
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
ख्वाबों में
ख्वाबों में
Minal Aggarwal
तस्वीरों में तुम उतनी कैद नहीं होती हो,
तस्वीरों में तुम उतनी कैद नहीं होती हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"सलाह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कब तक लड़ते-झगड़ते रहेंगे हम...
कब तक लड़ते-झगड़ते रहेंगे हम...
Ajit Kumar "Karn"
माना जिंदगी चलने का नाम है
माना जिंदगी चलने का नाम है
Dheerja Sharma
2728.*पूर्णिका*
2728.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आम के आम, गुठलियों के दाम
आम के आम, गुठलियों के दाम
अरविन्द व्यास
सोरठौ
सोरठौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
सरस्वती बुआ जी की याद में
सरस्वती बुआ जी की याद में
Ravi Prakash
लिबास पहन के क्यूं
लिबास पहन के क्यूं
Dr fauzia Naseem shad
अगर ये न होते
अगर ये न होते
Suryakant Dwivedi
dark days
dark days
पूर्वार्थ
असर
असर
Shyam Sundar Subramanian
Money है तो honey है।
Money है तो honey है।
Rj Anand Prajapati
#व्यंग्य-
#व्यंग्य-
*प्रणय*
भूल सकू तो भुला दूं
भूल सकू तो भुला दूं
Kaviraag
Loading...