[[[[ गुम होती मानवता ]]]]
((( गुम होती मानवता )))
@ दिनश एल० “जैहिंद”
एक तरफ खुदा है रुठा,,
है वहाँ तो बचपन भूखा |
देख तमाशा ये भाई देख,,
नहीं मिटे कभी भाग्यलेखा ||
दूजी तरफ मेहरबाँ है खुदा,,
वहाँ खेलता बालक दूजा |
भूखा-प्यासा बच्चा बेचारा,,
खाने को टैब आतुर राजा ||
खुदा की बातें वही जाने,,
हम क्यूँ उस पर दोष डालें |
है नासमझी का ये आलम,,
कोई उचित हम हल निकालें ||
सम्भाव, सद्भवना का यहाँ,,
आदिकाल से लोप हुआ है |
एक बचपन खुशहाल हुआ,,
दूजा जीवन बेहाल मुआ है ||
हम विवेकशील, विवेकवान,,
पर क्यूँ न हो सके एकसमान ?
बचपन हमसे पूछे कई सवाल,
पर हिल न पाए हमारी जुबान ||
खुदा ने देकर हमको ये प्राण,,
क्या कोई बड़ा है गुनाह किया ?
हम तो बड़े गुनहगार है खुदके,
खुद को राजा-रंक में बाँट लिया ||
अब भी वक्त है ना कुछ बिगड़ा,,
कर लो कुछ अभी से भाई उपाय |
नेक दिल, नेक इंसान की खातिर,,
बनकर इंसां होते खुदा सदा सहाय ||
###दिनेश एल० “जैहिंद”