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14 Jan 2017 · 1 min read

||मेरी नन्ही परी ||

“नन्हे नन्हे क़दमों से अपने
वो पास जो दौड़ी आती है
लग गले से वो मेरे फिर
किस्से सभी सुनाती है,
मम्मी की डांट,दादी का प्यार
हस हंसके मुझे बताती है
फिर सारी मांगे अपनी वो
एक पल में मुझे सुनाती है ,
देख ग्लास का पानी नन्हे हाथों में
शुकुन बहुत पहुँचाता है
राहें तकना घर आने की मेरे
उत्सुकता मेरी बढ़ाता है ,
वो बाते बुढ़िया जैसी उसकी
मन में बहुत हँसाती है
उसके बिन जीवन कुछ ना है
हर पल एहसास यही दिलाती है ,
है नन्ही परी वो आँगन की मेरे
पर खुशियों की वो पुड़िया है
मुस्कान बिखेरे चेहरे पे सबके
ऐसी वो प्यारी गुड़िया है ||”

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