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7 Apr 2025 · 1 min read

जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,

जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
न कोई बुनता है।

उसकी झूठी ख़ामोशी भी है बोलती,
मेरे सच्चे अल्फ़ाज़ भी न
कोई सुनता है।

प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक।द्वारका मोड़,
नई दिल्ली-78

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