Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
7 Apr 2025 · 1 min read

आंसू बनकर बहते हम

आंसू बनकर बहते हम
******************

खोये–खोये रहते हम,
हर दम रोते रहते हम।

भीगी–भीगी पलकें हैं,
दरिया गोते खाते हम।

तेरी जां की खातिर यूँ,
सीने गोली खाते हम।

फूलों की खुशबू जैसे,
तन–मन में बसते हम।

मनसीरत के नयनों में,
आंसू बनकर बहते हम।
**********†*******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Loading...