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13 Jan 2017 · 1 min read

घरो को घर बनाती…

रात दिन है मुस्कुराती बेटियां,
दो घरो को घर बनाती बेटियां।
चाकरी करती है मगर थकती नहीं
ग़मज़दा भी खिलखिलाती बेटियाँ
ख्वाहिशो के आसमानों के तले,
ख्वाब कितने है मिटाती बेटियां।।
नाख़ुदा बन जिंदगी की नाव में,
आँख तूफा से लड़ाती बेटियां।।
थाम के अहसास को उम्रभर,
माँ पिता से दिल लगाती बेटियां।।
मेहनत की राह में चलके सभी,
रौशनी बन जगमगाती बेटियां।।
कोख से जीवन के हर इक मोड़ पे,
बहुत जोखिम है उठाती बेटियां।।

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