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10 Jan 2017 · 1 min read

माँ की सीख – बेटी की टीस

सौ.सुमिता राजकुमार मूंधड़ा

माँ की सीख – बेटी की टीस
_____________________

कदम उठे गलत अगर मेरे,
तो मैं सहम – सी जाती हूँ।
माँ तेरी सीख याद आ जाती,
कुछ गलत नहीं कर पाती हूँ।।

दुष्कर्मों की सजा मिलती है,
दोजख सी जिंदगी कटती है।
चुकाना पड़ता लिया दिया सब,
यह सीख भूल नहीं पाती हूँ ।।

उनकी माँ ने भी सिखाया होगा,
पाठ उन्हें भी यह बचपन से,
भूल गये क्यूँ कद बढ़ते ही,
इस पाठ को अपने जीवन से।।

देते हैं तकलीफ मुझे वो,
आहत वाणी से करते हैं।
ना करती प्रतिवाद मैं उनका,
ना ही वो ईश् से डरते हैं।।

माँ तेरी सीख बड़ी निर्मल है,
पर मैं सहमी – सी रहती हूँ।
संतोष तो रहता है मन में,
पर सुकून को तरसती हूँ।।

यह क्या सीख है माँ तेरी,
कि बस ईश् पर विश्वास करु,
देर है अँधेर नहीं है वहाँ,
समय का मैं इंतजार करूँ।।

– सौ. सुमिता राजकुमार मूंधड़ा

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