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17 Nov 2016 · 1 min read

मैं बस एकबार..

मैं बस एकबार
मिलना चाहता हूँ तुमसे ,
ओ मेरे दिलदार..

भुलाकर शिकवे सारे,
भुलाकर दुनिया का दाह
लिपटकर गले से तुम्हारे
रोना चाहता हूँ मैं बार बार,
मैं बस एकबार..

बताकर हालात मेरे,
तुम्हारे ना करने की जिद तक
पकड़कर हाथों को तेरे
जताना चाहता हूँ मैं अपनी हार,
मैं बस एकबार.. .

नहीं ये रिश्ता तोड़कर,
नहीं तू निगाहों को मोड़ें
ओ हमदम, कभी ना जाना
मुझको अकेला छोड़कर
करता रहूँगा यही पुकार,

मैं बस एकबार
मिलना चाहता हूँ तुमसे ,
ओ मेरे दिलदार..

– नीरज चौहान

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