प्यार को पावन बनाओ , प्यार को पूजा फलित भावन बनाओ( गीत ) पोस्ट ३२
प्यार को पावन बनाओ
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साध्य अपने प्यार को पावन बनाओ ।
प्यार को पूजा , फलित भावन बनाओ ।।
सूर्य हो या चन्द्रमा या व्योम — तारे ,
प्यार से विभु ने बनायी भूमि प्यारी ।
प्राणधारी होंं किसी भी वर्ग के ये ,
प्यार करने को बनायी सृष्टि सारी ।
इसलिए जग को महक , कानन बनाओ ।
पुष्प – सा खिलता हुआ आनन बनाओ ।।
प्यार से बढकर नहीं है — वस्तु कोई ,
प्यार है तो शांति है, सुख भी धरा पर ,
है नहीं यदि प्यार तो , कुछ भी नहीं है
यह मनुज जीवन मिला सबको सुअवसर ।
प्यार हो दृष्टव्य , उजला मन बनाओ ।
कम न हो जो प्यार , ऐसा धन बनाओ ।
धूप हो या छॉव , जीवनमें अमावस ,
पूर्णिमा हो या उदासी ,मीत मिलते ।
चाहनाहैै आपके उर में अगर| तो —
भावनाओं के सुवासित पुष्प खिलते ।
वृष्टि हो अमृतमयी , ऑगन बनाओ ।
नृत्यनृत्य करता मोर- मन , सावन बनाओ ।।
—— जितेन्द्र कमल आनंद