बूँद ही अमृतमयी है, जो बुझादे प्यास प्यासे की ,विमल है( गीत) पोस्ट२९
बूँद ही अमृतमयी है
********************************** गीत
अंजुरी को बूँद ही अमृतमयी है,
जो बुझा दे प्यास प्यासे की , विमल है ।
कण्ठ प्यासे का नहीं यह सुख पाये
हो जतन कुछ ज़िदगी के गीत गायें
जोहता है बाट वह ऐसे मनुज की ,
नैराश्य को जो आस दे, मन सरल है।
अंजुरी को बूँद ही अमृतमयी है ।।
कॉचघर में टूटने न पायें यह मन
स्वर्णघर में ऊबने न पायें यह मन
ये अधिक ही ताप पा, लगते पिघलने
रश्मियों को चूमने की चाह, ” कमल” है
अंजुरी को बूँद ही अमृतमयी है ।
जो बुझा दे प्यास प्यासे की, विमल है।।है।।
——- जितेंद्रकमलआनंद