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10 Oct 2025 · 1 min read

बेटियां

काश ऐसा भी कोई दिन आए,
जब बेटियों के लिए भी व्रत किए जाएँ,
जब माँ माँगे चाँद से दुआएँ —
“मेरी बेटी सदा मुस्कुराए।”

जब हर सास कहे बहु से प्यार भरे शब्द —
“आज मेरी बेटी की लंबी उम्र का व्रत है।”
और हर पिता गर्व से बोले —
“आज मेरी लाडो की सलामती का पर्व है।”
काश ऐसा भी कोई दिन आए!

जब कोई पति भी पत्नी के नाम की मेंहदी लगाए,
कभी कोई पति भी रखे उपवास —
अपनी अर्धांगिनी के ख़ुशी के वास्ते।
कभी उनकी हँसी भी व्रत का कारण बने।
काश ऐसा भी कोई दिन आए!

काश समाज भी ये समझ पाए —
बेटियाँ हैं जीवन की आधारशिला,
उनकी साँसों में ही बसा संसार है।

काश ऐसा भी कोई दिन आए,
जहाँ चाँद भी कहे —
आज चाँद की रौशनी बेटियों के नाम।”

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