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12 Oct 2024 · 1 min read

दिल पे कब मेरा इख़्तियार रहा ।

दिल पे कब मेरा इख़्तियार रहा ।
दिल हमेशा ही बे’क़रार रहा ।।

शिद्तों में जो बे’शुमार रहा ।
मेरी आंखों का इंतिज़ार रहा ।।

वो हमें भूल ही नहीं सकता ।
दिल से हमको ये ऐतबार रहा ।।

जिंद‌गी इतना बस बता दे हमें।
हमपे किस-किस अब उधार रहा।।

बेबसी ज़िंदगी में शामिल है ।
मेरा दामन भी तार-तार रहा ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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