हम गमज़दा है
हम ग़मज़दा हैं,लाए कहां से खुशी।
कौन समझेगा जिंदगी में ,क्या है कमी।
कितने आंसू हमने पीये,कौन जाने
पूछे कौन आंख में तेरी क्यूं है नमी।
किसी खुशी की तवक्को,नहीं हमें
जो मिला दामन में डाल गया ग़मी।
अपना आसमां ढूंढने गये थे हम तो
छीन ली लोगों ने , पैरों से भी जमीं।
सुरिंदर कौर