बाल कविता ( गिनती कविता)
इक राजा की बेटी थी।
दो दिन पलंग पर लेटी थी
तीन संतरी दौड़े आए।
चार दवा की पुडिया लाए
पांच मिनट में घोल बनाए
छह मिनट बाद पिलाये
सात मिनट में आँखें खोलीं
आठ मिनट रानी से बोली
नौ मिनट में दूध मलाई।
दस मिनट में दौड लगाई।।
हमको दस तक गिनती आई।।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र