Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
27 May 2025 · 1 min read

गाँव का चौपाल

गाँव के चौराहे में
विशाल वट का झाड़,
उस वृक्ष तले लगता
गाँव का चौपाल।

वृक्ष के गोल टीले में
बैठता ग्राम प्रधान,
पंच- परमेश्वर भी
विराजते स-सम्मान।

कोई भी मसला हो
चाहे आये कोई बात,
चर्चा कर हल निकालते
सुबह- सांझ- रात।

चाय की चुस्की संग
मसखरी कभी किस्से,
उपस्थित सारे लोगों के
होते उन सबमें हिस्से।

गाये जाते मंगल-गीत
होते मरण का शोक,
हर कोई आता-जाता
कोई रोक न टोक।

न्याय और अन्याय
ईमानदारी और छल,
स्वार्थ और त्याग
ध्यान से सुनता सकल।

ब्याह की शहनाई बजती
कभी फाग के राग,
कभी अँखियन की प्रीत,
गाये भी जाते गीत।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
( साहित्य वाचस्पति )
प्रशासनिक अधिकारी
हरफनमौला साहित्य लेखक।

Loading...