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18 Jul 2017 · 1 min read

?मेरा सफ़र

कुछ मैं कहूँ कुछ तुम सुनो …..

गुज़री जिनके ख़िदमत में उमर
पीकर लफ़्ज़ों का कड़वा ज़हर

गर्दिश में गुजरा बीता सफ़र
आँसू पीकर रातों जागकर

वो आये अब मेरे दर पर
एहसानों का बोझा लेकर

तालिमों का था मुझमें असर
बैठाया उन्हें सर आँखों पर

टिकती नहीं, दौलत अक्सर
रब के आगे अदना है बशर

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