वादियों में साज़िश

वादियों में साजिशों की बर्फ जम गई,
सिंधु, सतलज में रक्त की धारा बही,
मां भारती के भाग्य छाया अंधेरा घना,
स्वर्ग फिर से आज रक्त रंजीत हुआ।।
चित चीत्कार से वादियां गूंजती,
गंध बारूद का सांसों को घोटती,
ममता के आंचल से लहू बह रहा,
अर्थियां देख मां का कलेजा कपा,
मां के दुख को मिटाने एक बेटा चला,
करके वादा लौटने का मां से वो चल दिया,
ले तिरंगा मै आऊं या लिपट कर मैं आऊं,
करके वादा पूरा, वतन पर, फ़ना हो गया,
हाथों की गीली, मेहंदी सुखी नही,
स्वप्न टूटे, आंखो के दहलीज पर,
चूड़ियां हाथों में खनकने से पहले,
टूटकर जमीं पर बिखर सी गई,
फिर मिले जो जन्म, मैं माता बनू,
सात जन्मों तलक पुत्र, तुम सा जनू,
जो वतन के लिए जिए और मरे,
धन्य हो कोख मेरी जो तुमको जनी,
जो वादे तुमने किए, तोड़ गए,
जोड़ रिश्तों का धागा, अकेला छोड़ गए,
साथ की जो थी ख्वाइश मिली ही नहीं,
नाम तेरा मिला, प्यार तुमसे किया,
जग में इससे बड़ा और कुछ भी नहीं।।
@विहल