*कुछ इस कदर चाहा है तुम्हें,*

कुछ इस कदर चाहा है तुम्हें,
कि हद से ज्यादा पाने का इरादा है तुझे,
कहीं उस दिन थाम लेती हाथ मेरा ,
बीते कल को पछताते नहीं ।।
✍️📜 जितेश भारती
कुछ इस कदर चाहा है तुम्हें,
कि हद से ज्यादा पाने का इरादा है तुझे,
कहीं उस दिन थाम लेती हाथ मेरा ,
बीते कल को पछताते नहीं ।।
✍️📜 जितेश भारती