वो आग है तो चलो माना हम भी हैं क़ाफिर

19.3.25
Mujtas musamman maKHbuun mahzuuf maskn
mufaa’ilun fa’ilaatun mufaa’ilun fe’lun
1212 1122 1212 22
मै एहतियात से अनजाने सोचता उसको
क़रीब दिल के इलाक़े ही रोकता उसको
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वो ख़ूबियों को नहीं जानती मेरी लेकिन
मै हौसलों में कहीं रोज तौलता उसको
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वो आग है तो चलो माना हम भी हैं क़ाफिर
हमारे बारे में है ख़ूब सब पता उसको
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ये बद-हवास निगहबानी काम की होगी
शिकायतों में करूँ दर्ज लापता उसको
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हमी थे जानते राहें वफा कहाँ जाती
अलग ये बात थी मालूम रास्ता उसको
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सुशील यादव दुर्ग (छ.ग.)
7000226712