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7 Apr 2025 · 2 min read

शिखर से भली संवेदना

वर्तमान परिदृश्य में जीवन क्षणभंगुर है,मानव अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है भले ही हम चांद पर पहुंच गए हो कई आविष्कार कर लिए हो भयानक बीमारियों का उपचार खोज लिया हो किंतु आज भी मानव की समझ से परे उसके प्राण है,जिंदगी की शाम कब हो जाए उसे स्वयं को पता नहीं है ! मनुष्य उन्नति के शिखर पर पहुंचे और इसे ही संपूर्णता प्राप्त करना समझे तब भी उसके मन में कहीं ना कहीं अधूरापन रह जाता है इसके पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि उसकी संवेदना मैं कहीं कमी रही होगी,इसीलिए मनुष्य को सदैव उन्नति से अधिक अपनी संवेदनाओं की परवाह करना चाहिए जितना बन सके सभी के काम आना चाहिए और एक महत्वपूर्ण बात इस मानव जीवन में व्यक्ति को प्रदर्शन से हमेशा बचना चाहिए मेरा भ्रमण कई सामाजिक संस्थाओं में होता है साथ ही कई कार्यक्रमों में भी जाने का अवसर प्राप्त होता है मैं क्या देखता हूं रक्तदान शिविर लगाया गया है उसे प्रचारित किया जा रहा है अस्पताल में फल वितरण किए गए हैं फल वितरण के फोटो बड़े ही गौरव के साथ प्रदर्शित किए जाते हैं सर्दी में स्वेटर कंबल या अन्य कोई सामाजिक कार्य करते हुए हम उसका प्रदर्शन उसे 10 गुना अधिक करते हैं हमें विचार करना चाहिए क्या यह सही है हम सक्षम थे तभी यह कर पा रहे हैं लेकिन क्या इसका प्रदर्शन आवश्यक है विचारणीय बिंदु है आज के सोशल मीडिया के जमाने में दुनिया छोटी हो गई है इसलिए मानव जीवन के संपूर्ण आकाश को एक क्षण में का लेना चाहता है इस विषय पर भी बात करना होगी क्या इसके बाद वह पूर्ण है या पूर्णता की श्रेणी में है बहुत से बिंदु है जिम संवेदना ही महत्वपूर्ण है !
मुकेश शर्मा
विदिशा

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 43 Views
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